ज्योतिषाचार्य पंडित सोमेश परसाई बताते हैं निश्चित नक्षत्र, तिथि और वार के संयोग से सर्वार्थ सिद्धि योग बनता है। सवार्थ सिद्धि योग किसी अशुभ योग के दुष्प्रभाव को भी समाप्त कर देता है। यही कारण है कि इस योग में शुक्र अस्त, पंचक, भद्रा आदि पर प्राय: कोई विचार नहीं किया जाता है. रेवती, अनुराधा, अश्वनी, पुनर्वसु, श्रवण आदि नक्षत्रों में इस योग की शुभता बढ जाती है।
किसी भी शुभ कार्य को करने के लिए सर्वार्थ सिद्धि योग बहुत शुभ मुहूर्त होता है। इस योग में मकान खरीदने, वाहन खरीदने, सोने—चांदी के जेवर आदि खरीदने के कार्य किए जाते हैं। मकान—वाहन के क्रय-विक्रय के साथ ही दुकान या ऑफिस का शुभारंभ करना भी इस योग में शुभ माना जाता है। मकान की रजिस्ट्री करवाने जैसे कार्य किए जाते हैं।
वैसे तो सर्वार्थ सिद्धि योग बहुत शुभ मुहूर्त होता है लेकिन इस योग में भी कुछ कार्य प्रतिबंधित किए गए हैं। ज्योतिषाचार्य दीपक दीक्षित बताते हैं कि सर्वार्थ सिद्धि योग में विवाह, गृह प्रवेश और यात्रा करने जैसे कार्य भूलकर भी न करें. इस योग में ये काम नहीं किए जाते हैं।