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‘भोर’ के जरिए भिखारियों का कौशल विकास, मुख्‍यधारा से जोडऩे का प्रयास

प्रशिक्षण के साथ रहना,खाना,खेलकूद मुफ्तप्रशिक्षण के बाद रोजगार भी देश में पहला प्रयोग राजस्‍थान में40 लोगों को किया जा रहा प्रशिक्षित

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जयपुर

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Rakhi Hajela

Feb 04, 2021

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राजधानी जयपुर में फुटपाथ और चौराहों पर वर्षों से जमे भिखारियों को कौशल विकास Skill Development के माध्‍यम से रोजगार की मुख्‍यधारा से जोडऩे का प्रयास गहलोत सरकार (Gehlot govt) ने शुरू किया है। जो यदि सफल रहा तो पूरे देश के लिए एक मिसाल होगा । भिक्षुक ऑरिएंटेशन ए रिहेबिलिटेशन 'भोर' (Beggar's Orientation A Rehabilitation 'Bhor' ) नाम से शुरू किए गए इस पायलट प्रोजेक्‍ट के तहत 40 भिखारियों का चयन कर उन्हें स्किल डवलपमेंट (Skill Development) का प्रशिक्षण दिया जा रहा है देश में पहली बार जयपुर में आरएसएलडीसी (RSLDC) की ओर से यह प्रयोग किया जा रहा है । आरएसएलडीसी ने जगतपुरा स्थित राजपूत छात्रावास में इनके विशेष प्रशिक्षण की व्यवस्था की है।
भत्ते के रूप में मिलेंगे 225 रुपए प्रतिदिन
तीन माह के प्रशिक्षण के दौरान इन भिक्षुकों को प्रतिदिन 225 रुपए भी आरएसएलडीसी प्रदान करेगा। जिससे वह प्रशिक्षण के दौरान भी अपना जीवन यापन कर सकें और परिवार की भी मदद कर सकें। दरअसल सरकार का मानना है कि प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे लोग पहले से कुछ काम कर रहे होते तो उन्हें इसकी जरूरत नहीं होती लेकिन वर्तमान में उनके पास न कोई काम है और ना ही दक्षता। ऐसे में इन्हें प्रशिक्षण से बांधे रखने के लिए प्रतिदिन २२५ रुपए भत्ता दिया जाने का निर्णय किया गया है।
बनवाए जाएंगे आधार कार्ड
न केवल राजस्थान बल्कि देश के विभिन्न भागों जैसे मध्यप्रदेश, बिहार, उत्तरप्रदेश, महाराष्ट्र के इन लोगों को उनकी पहचान दिलवाने का काम भी आरएसएलडीसी कर रहा है। छात्रावास में रहने वाले सभी लोगों के आधार कार्ड, राशन कार्ड भी बनवाने का काम विभाग करेगा जिससे उनकी पहचान मिल सकें। इसके साथ ही पुलिस वैरिफिकेशन भी करवाया जाएगा जिससे यह पता चल सके कि इनमें से किसी का कोई आपराधिक रिकॉर्ड तो नहीं है।
योगाभ्यास के साथ खेलकूद भी
पुलिस की सहायता से इन्हें जगतपुरा स्थित राजपूत छात्रावास में लाया गया। जहां शरीर से गंदगी और जख्‍मों को दूर किया गया और फिर अब योगा, सत्‍संग और खेलकूद के इंतजाम किए गए। कैटरिंग के साथ फूड एंड बेवरेजेज सर्विस के गुर सिखाए जा रहे हैं, ताकि अपना रोजगार सृजन कर सकें।
इनका कहना है
इससे न केवल भिखारियों को इज्जत से दो पैसे कमाने का मौका मिलेगा बल्कि भिखारियों के नाम पर चलने वाले रैकेट पर भी रोक लगेगी। भिखारियों के जीवन में सुधार लाने के लिए यह पहल की जा रही है। इन्हें नौकरी के काबिल बनाने के लिए चरणबद्ध तरीके से उन्हें तैयार किया जाएगा। कई बार मजबूरी तो कई बार परिवार के दबाव की वजह से लोगों को दूसरों के सामने हाथ फैलाने पड़ते हैं। इसके बाद, ये लोग इस दलदल से बाहर नहीं निकल पाते। ऐसे में हमने पहले उनकी काउंसलिंग करने का फैसला किया है।
नीरज के पवन, चेयरमैन, आरएसएलडीसी