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Research Of Endocrinology Department SMS Medical College: अब तक यह माना जाता था कि मोटापा और शरीर में चर्बी बढ़ने से डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर, कोलेस्ट्रोल, लिपिड प्रॉब्लम और हार्ट डिजीज जैसी बीमारियां होती हैं। लेकिन सवाई मानसिंह मेडिकल कॉलेज जयपुर के एंडोक्राइनोलॉजी विभाग के नए शोध ने यह धारणा बदल दी है।
शोध में सामने आया कि केवल शरीर में फैट की मात्रा बढ़ना ही बीमारियों की वजह नहीं है, बल्कि फैट टिश्यू की क्वालिटी खराब होना असली कारण है। पश्चिमी देशों में उच्च बीएमआइ (बॉडी मास इंडेक्स) वाले लोग इन बीमारियों के शिकार होते हैं, लेकिन भारतीयों में सामान्य या कम बीएमआइ होने के बावजूद डायबिटीज और हार्ट की बीमारियां देखी जाती हैं। पहले इसे पेट के आस-पास फैट जमा होने की वजह माना जाता था लेकिन एसएमएस कॉलेज के अध्ययन ने स्पष्ट किया कि असली समस्या फैट की गुणवत्ता दोषी होना है।
फिलहाल एडिपोसोपैथी का पता लगाकर उसका निदान करना चिकित्सा विज्ञान के लिए नई चुनौती है। एसएमएस कॉलेज में रिसर्च जारी है और जल्द ही इसका एक और पेपर प्रकाशित होने की संभावना है। वर्तमान में दवाओं से इसे कुछ हद तक ठीक किया जा सकता है, जबकि विश्वभर में कई नई दवाओं पर क्लिनिकल ट्रायल चल रहे हैं।
अध्ययन में पाया गया कि जिन मरीजों के फैट टिश्यू में सूजन, घाव जैसी स्थिति और मैक्रोफेज नामक कोशिकाओं की असामान्य वृद्धि थी, उनमें डायबिटीज, हाई बीपी, कोलेस्ट्रोल जैसी बीमारियां ज्यादा थीं। इसे वैज्ञानिक भाषा में एडिपोसोपैथी कहा जाता है। इसका मतलब यह कि पतले या सामान्य वजन वाले लोग भी अगर फैट टिश्यू की क्वालिटी खराब है तो गंभीर बीमारियों के शिकार हो सकते हैं।
एंडोक्राइनोलॉजी विभागाध्यक्ष डॉ. संदीप माथुर ने बताया कि इस शोध में 322 मरीजों को शामिल किया गया। मरीजों के शरीर में फैट की मात्रा और वितरण का आकलन बीएमआइ और डेक्सा स्कैन से किया गया।
लिवर और पेट का फैट एमआरआइ से देखा गया, वहीं सर्जरी के दौरान फैट के नमूनों की बायोप्सी कर उनकी क्वालिटी जांची गई। अध्ययन में सर्जन भी शामिल रहे। डॉ. माथुर ने कहा कि एडिपोसोपैथी का इलाज संभव होने पर डायबिटीज और हार्ट डिजीज जैसी जीवनशैली संबंधी बीमारियों की रोकथाम और उपचार की दिशा ही बदल जाएगी।
Published on:
18 Sept 2025 12:41 pm
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