प्रारम्भिक सत्र में बतौर मुख्य वक्ता पूर्व पुलिस महानिदेशक (एनडीआरएफ) डॉ. पी.एम. नायर ने मानव तस्करी को मानव व्यापार की संज्ञा देते हुए भारतीय संविधान के अनुसार इसे गम्भीर संवैधानिक अपराध बताया। उन्होंने कहा कि बन्धुआ मजदूरी व बाल मजदूरी की एक लम्बी दास्तान है और सीविल सोसायटी के साथ सक्रिय सहभागिता से ही इसकी रोकथाम की जा सकती है। उन्होंने जनजाति समुदाय के नाम पर होने वाले देह व्यापार को रोकने के लिए
भी गम्भीर प्रयासों की आवश्यकता बताई। पी एम नायर ने मानव तस्करी विरोधी विषय की वर्तमान स्थिती, चुनौतियों और आगामी कार्ययोजनों के बारे में विशेष चर्चा की।
भी गम्भीर प्रयासों की आवश्यकता बताई। पी एम नायर ने मानव तस्करी विरोधी विषय की वर्तमान स्थिती, चुनौतियों और आगामी कार्ययोजनों के बारे में विशेष चर्चा की।
वहीं अगले सत्र के मुख्य वक्ता पूर्व आईपीएस एवं जनरल सेक्रेटरी प्रयास आमोद कंठ ने बाल संरक्षण और किशोर न्याय अधिनियम से संबधिंत कानूनी प्रावधानों की विस्तृत जानकारी दी। इस क्षेत्र में कार्य करने वाली प्रयास संस्था के आंकड़ों के अनुसार 2014-16 में जयपुर से रेस्क्यू किए गए बाल मजदूर में से 75 प्रतिशत बिहार के हैं। इस दौरान अतिरिक्त महानिदेशक पुलिस मानव तस्करी विरोधी यूनिट अमृत कलश ने कांन्फ्रेस के उद्देश्यों पर प्रकाश डाला। कांफ्रेंस में पुलिस अधिकारी, स्वंय सेवी संस्थाओं के प्रतिनिधि, विभिन्न जिलों के मानव तस्करी विरोधी यूनिट एवं एस जे यू पी के अधिकारी, विभिन्न विभागों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने
हिस्सा लिया। इस दौरान स्वयं सेवी संस्थाओं के प्रतिनिधियेां और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने वक्ताओं से सवाल जवाब कर मानव तस्करी को रोकने के लिए किए जाने वाले कार्यों की जानकारी ली।
हिस्सा लिया। इस दौरान स्वयं सेवी संस्थाओं के प्रतिनिधियेां और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने वक्ताओं से सवाल जवाब कर मानव तस्करी को रोकने के लिए किए जाने वाले कार्यों की जानकारी ली।