
शायद भालुओं की खाल पहनते थे Stone Age के इंसान
बर्लिन. प्रागैतिहासिक काल में शुरुआती मानव शरीर कैसे ढकते थे और कड़ाके की सर्दी में कैसे अपना बचाव करते थे, इस बारे में अब तक बहुत कम पुख्ता जानकारी उपलब्ध है। जर्मनी के पुरातत्त्वविदों ने नए शोध में दावा किया है कि उस काल के मानव संभवत: भालू की खाल से शरीर ढकते थे। एक गुफा में खोजे गए भालू के पंजे पर कट के निशान को लेकर शोधकर्ताओं का कहना है कि शायद तीन लाख साल पहले जानवरों की खाल उनके फर के लिए उतारी जाती थी।
जर्मनी की तुबिंगेन यूनिवर्सिटी में डॉक्टरेट के स्टूडेंट और शोध के लेखक इवो वेरहेजेन का कहना है कि शुरुआती काल की कुछ ही साइट्स भालू की खाल उतारे जाने के सबूत दिखाती हैं। इनमें जर्मनी की शॉनिंगेन सबसे महत्त्वपूर्ण है। शोध रिपोर्ट के मुताबिक फर, चमड़ा और अन्य कार्बनिक पदार्थ आम तौर पर एक लाख साल से ज्यादा संरक्षित नहीं रह सकते। इसीलिए प्रागैतिहासिक कपड़ों के प्रत्यक्ष सबूत बहुत कम हैं। अक्सर तस्वीरों में गुफा मानव को जानवरों की खाल या फर से बने कपड़े पहने दिखाया जाता है। यह शोध इसलिए महत्त्वपूर्ण है कि दुनिया इस बारे में अपेक्षाकृत कम जानती है कि प्राचीन काल में इंसान का पहनावा कैसा था।
हवा रोधक थे उन भालुओं के लंबे बाल
शोधकर्ताओं का कहना है कि प्रागैतिहासिक काल में गुफा में रहने वाले भालू काफी बड़े थे। उनका आकार ध्रुवीय भालू के बराबर था। वे करीब 25,000 साल पहले विलुप्त हो चुके हैं। उन भालुओं के शरीर पर लंबे बाल होते थे, जो हवा से बचाने वाली परत का निर्माण करते थे। जर्नल ऑफ ह्यूमन इवोल्यूशन में प्रकाशित शोध के मुताबिक, ये बाल अच्छा रोधक (इन्सुलेशन) प्रदान करते थे।
बगैर सिलाई खाल का इस्तेमाल
शोध में बताया गया कि आदि मानव के कपड़ों में संभवत: खाल शामिल थी। यह सिलाई के बिना शरीर के चारों तरफ लपेटी जाती थी। कपड़ों की सिलाई में इस्तेमाल होने वाली सुई पुरातात्त्विक रेकॉर्ड में करीब 45,000 साल पहले तक नहीं पाई गई थी। शोधकर्ताओं के लिए यह पता लगाना चुनौतीपूर्ण है कि कपड़ों का इस्तेमाल कब शुरू हुआ।
Published on:
06 Jan 2023 11:31 pm
बड़ी खबरें
View Allजयपुर
राजस्थान न्यूज़
ट्रेंडिंग
