
जयपुर/नागौर। देश की सरहद की रक्षा करते हुए प्राण न्यौछावर करने वालों में राजस्थान के सपूत कभी भी पीछे नहीं रहे हैं। अपने आखिरी दम तक लड़ते हुए इस माटी के वीरों ने दुशमनों के दांत खट्टे किए है। ऐसे ही एक वीर जवान है सूबेदार भंवरलाल भाकर। जिन्होंने अपने प्राणों की परवाह किए बिना कारगिल युद्ध में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और पाकिस्तानी घुसपैठियों को भागने पर मजबूर कर दिया। दुर्गम पहाड़ी तोलोलिंग पर पाकिस्तानी घुसपैठियों द्वारा कब्जा कर लिए जाने और धोखे से भारतीय सेना की टुकड़ी पर हमला कर उन्हें बंदी बना अमानवीय यातनाएं देकर उनके शव को क्षत विक्षत करने के बाद राजपूताना राइफल के सूबेदार भंवरलाल भाकर के नेतृत्व मे भारतीय सेना के जवान पहाड़ी की सीधी चट्टान पर रेंगते-रेंगते पहुंचे जहां दुश्मन ने कई बंकर बना रखे थे।
12 जून 1999 की रात कारगिल घाटी पर बर्फिली हवाओं के बीच सूबेदार भंवरलाल के नेतृत्व में बहादुर जवानों ने दुश्मन पर हमला बोल दिया। इस दौरान भंवर लाल के हाथ में गोली लगने पर वह घायल भी हो गये और अन्य साथियों ने इलाज की जरुरत बताते हुए पीछे हटने के लिए भी कहा लेकिन बहादुर सूबेदार ने जवानों का हौंसला कम नहीं होने दिया और खून से लथपथ हाथ पर कपड़ा बांधकर दुश्मन पर टूट पड़े और तोलोलिंग पहाड़ी को घुसपैठियो से मुक्त करा लिया। इस दौरान कई घुसपैठिये मारे गये जबकि कई भाग निकले।
भारतीय सेना तोलोलिंग पर कब्जा जमा चुकी थी कि एक घुसपैठिये की मशीन गन का निशाना सूबेदार भंवर लाल को लग गया और वह अंतिम सांस तक लड़ते देश की रक्षा करते हुए शहीद हो गये। उनके अदम्य साहस एवं बहादुरी के लिए उन्हें मरणोपरांत वीर चक्र से सम्मानित किया गया।
Updated on:
23 Jul 2018 04:42 pm
Published on:
23 Jul 2018 02:41 pm
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