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विलुप्त होती कला को बचाने के लिए शुरू किया स्टार्टअप, सुमति ने ऐसे किया कमाल

सुमति का कहना है कि कंपनी का मुख्य उद्देश्य जीरो वेस्ट है। इसलिए कपड़े की हर कटिंग का प्रयोग किया जाता है।

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जयपुर

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Anil Kumar

May 30, 2023

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जयपुर। भारत वह देश है, जहां हर क्षेत्र में अलग-अलग संस्कृति रची-बसी है। कुछ युवा ऐसे हैं, जिन्होंने न सिर्फ पारंपरिक संस्कृति को बचाने का कदम उठाया, बल्कि गांवों में रोजगार के द्वार भी खोले हैं। ऐसी ही एक कहानी है बिहार की 43 वर्षीय सुमति जालान की, जिन्होंने बिहार की पारंपरिक कला को बचाने के लिए बीहार्ट नाम से अपना क्लोदिंग ब्रांड शुरू किया।

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लोगों की मानसिकता बदली
सुमति का कहना है कि अपनी आगे की पढ़ाई के लिए वह जब दूसरे राज्य में र्गइं तो उन्हें कुछ ऐसे लोगों की मानसिकता का सामना करना पड़ा, जिनकी नजर में बिहार की अच्छी छवि नहीं थी। इसलिए उन्होंने तय किया कि वो अपने सांस्कृतिक रूप से संपन्न राज्य के प्रति लोगों की मानसिकता बदलेंगी। फिर सुमति वापस अपने घर पटना लौट आईं और वहीं रहकर स्टार्टअप शुरू करने का विचार किया।

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इन जगहों पर खुले स्टोर
सुमति का कहना है कि बिहार में मधुबनी पेंटिंग और भागलपुरी टसर सिल्क के अलावा अन्य और भी अच्छे क्रॉफ्ट आर्ट हैं, लेकिन उन्हें लोकप्रियता नहीं मिली है। इस विलुप्त होती कला को बचाने के उन्होंने साल 2020 में अपना स्टार्टअप शुरू किया। आज सुमति हर महीने 1.5 लाख रुपए से ज्यादा कमा रही हैं। अब उनके स्टोर देश के अन्य शहरों जैसे दिल्ली, राजस्थान, गोवा, बैंगलूरु, ऋषिकेश आदि जगह पर खुल गए हैं।

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कपड़े की हर कटिंग का होता है उपयोग
सुमति का कहना है कि कंपनी का मुख्य उद्देश्य जीरो वेस्ट है। इसलिए कपड़े की हर कटिंग का प्रयोग किया जाता है। वह कहती हैं कि कारीगरों की कुशलता को बढ़ाना उनके लिए चुनौतीपूर्ण था। फिर काफी समझाने के बाद उन्हें तैयार किया और नई कलाकृतियों का प्रशिक्षण दिया गया, जिससे उनकी आय बढ़ी। इसके बाद कारीगरजुड़ने लगे। आज उनके साथ 18 आर्टिजंस और 12 बुनकर काम कर रहे हैं।