Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

राजस्थान का समलेटी बस कांड: जब 14 लोगों के हो गए थे चिथड़े-चिथड़े, चश्मदीद ने सुनाई आपबीती

राजस्थान में दौसा जिले के समलेटी गांव के पास रोडवेज बस में हुए बम विस्फोट के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया।

2 min read
Google source verification
samleti bus kand

समलेटी बस कांड

Samleti Bomb Incident: राजस्थान में 28 साल पहले रोडवेज की बस में दौसा जिले के समलेटी गांव के पास हुए बम विस्फोट के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने अपीलों की एक महीने तक चली सुनवाई के बाद गुरुवार को फैसला सुरक्षित रखा है। न्यायमूर्ति विक्रम नाथ, न्यायमूर्ति संजय करोल और न्यायमूर्ति संदीप मेहता की तीन न्यायाधीशों वाली सर्वोच्च न्यायालय की पीठ ने 20 फरवरी को राजस्थान सरकार की उस अपील पर सुनवाई शुरू की, जिसमें राजस्थान हाईकोर्ट ने मामले में छह आरोपियों को बरी कर दिया था।

राजस्थान सरकार के अतिरिक्त महाधिवक्ता शिव मंगल शर्मा ने कहा कि हमने इस मामले में डॉ. अब्दुल हमीद को मृत्युदंड देने सहित निचली अदालत द्वारा दिए गए दण्ड को बरकरार रखने की वकालत की। जबकि डॉ. हमीद ने इस मामले में बरी किए जाने के लिए सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था।

इससे पहले जनवरी 2015 में बांदीकुई की एक ट्रायल कोर्ट ने डॉ. अब्दुल हमीद को मृत्युदंड और छह लोगों (जावेद खान, अब्दुल गोनी, लतीफ अहमद बाजा, मोहम्मद अली भट्ट, मिर्जा निसार हुसैन और रईस बेग) को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। एक अन्य आरोपी पप्पू पर अलग से मुकदमा चलाया गया और उसे दोषी ठहराया गया, लेकिन उसे स्थायी पैरोल दे दी गई। दो आरोपियों फारूख अहमद और चंद्र प्रकाश अग्रवाल को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया गया। जिसके बाद में 22 जुलाई 2019 को राजस्थान हाईकोर्ट ने डॉ. अब्दुल हमीद की सजा बरकरार रखी, लेकिन आजीवन कारावास की सजा पाने वाले सभी छह लोगों को बरी कर दिया।

पूरा घटनाक्रम...

22 मई 1996 को आगरा से बीकानेर जा रही राजस्थान परिवहन की बस में दौसा जिले के समलेटी गांव के पास जोरदार धमाका हुआ। उस समय बस में 49-50 यात्री सवार थे। जिसमें 14 लोगों की मौत और 37 लोग घायल हो गए थे। बस के परिचालक अशोक शर्मा ने मामला दर्ज कराया। इसमें कहा गया था कि बस के दो यात्री महुआ में उतर गए थे। उन्होंने अपना टिकट भी लौटा दिया था। वे 27-28 साल के थे।

घटना के दौरान दौसा जिले के महवा कस्बे के रहने वाले शंभू उर्फ बालकृष्ण वशिष्ठ भी बस में सवार थे। उन्होंने बताया कि रोज की तरह रोडवेज बस में भीड़ थी। थोड़ी देर के लिए बस महुआ बस स्टेंड पर रूकी। भीड़ ज्यादा होने से मैं बस में पीछे चला गया। बस के समलेटी से आगे पहुंचते ही एक जोरदार धमाका हुआ। बस के परखच्चे उड़ गए थे, बस का बायां हिस्सा पूरी तरह बर्बाद हो गया था। छत तो 500 मीटर दूर जाकर गिरी थी। शवों के चिथडे-चिथडे हो गए थे। उस धमाके से मेरे कान के दोनों पर्दे फट गए थे। पेट में बम के छर्रे भी घुस गए।

मैं लहुलुहान हो गया और धुएं से मुंह काला हो गया था। इधर-उधर शव पडे हुए थे। उस घटना को याद करके रूह कांप जाती है। घटना के बारे में पता चलने पर लोगों की भीड़ घटनास्थल पर पहुंची। मेरा भतीजा भी भागा-भागा मौके पर पहुंचा। हादसे के बाद जयपुर के अस्पताल मेरा इलाज चला। गनीमत यह थी कि भीड़ के कारण मैं पीछे आ गया था वर्ना पता नहीं क्या होता। घटना के बारे में सोचकर आज भी रूह कांप जाती है।

यह भी पढ़ें : हिस्ट्रीशीटर शफीक के कहने पर रोहित गोदारा ने दी थी कुचामन के 5 व्यापारियों को धमकी, पेन ड्राइव से कई राज हुए उजागर