मोदी की पिछली मंत्रिपरिषद में राज्य के 4 सांसदों का प्रतिनिधित्व रहा। साथ ही कोटा सांसद ओम बिरला ने पांच साल तक बतौर लोकसभा अध्यक्ष सदन संभाले रखा। ताजा चुनाव में तीन मंत्री जीत गए जबकि कैलाश चौधरी चुनाव हार गए। बीते ढाई दशक में बिरला तो ऐसे एकमात्र लोकसभा अध्यक्ष हैं, जो चुनाव पुन: जीतकर संसद पहुंचे हैं। राज्य की 25 में से कुल 14 सीट पर भाजपा को जीत मिली है।
भाजपा से जुड़े सूत्रों के अनुसार ओम बिरला, अर्जुनराम मेघवाल, भूपेन्द्र यादव और गजेन्द्र सिंह एक बार फिर मोदी के तीसरे कार्यकाल में सरकार का चेहरा नजर आ सकते हैं। बिरला और मेघवाल मंत्रिमंडल की दौड़ में आगे नजर आ रहे हैं। साथ ही पहली बार सांसद बनीं महिमा कुमारी और मन्ना लाल रावत तथा दूसरी बार जीते भागीरथ चौधरी भी नए चेहरों के तौर पर मंत्रिपरिषद की दौड़ में शामिल हैं।
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भाजपा के लिए मंत्रिपरिषद के गठन में
राजस्थान का जातिगत समीकरण साधना सबसे बड़ी चुनौती होगा। हाल के लोकसभा चुनाव में जातिगत समीकरण बिगड़ना भी भाजपा की 11 सीटों पर हार की एक वजह बना। ऐसे में भाजपा का केन्द्रीय नेतृत्व अब ऐसे नामों पर विचार कर रहा है, जो राज्य में जातीय संतुलन बनाए रखे।
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- ओम बिरला
तीसरी बार लगातार सांसद चुने गए। पांच साल तक लोकसभा के सफल संचालन का अनुभव। वैश्य समाज का बड़ा राजनीतिक चेहरा।
- अर्जुनराम मेघवाल
चौथी बार लगातार सांसद चुने गए। मोदी सरकार के दोनों कार्यकाल में मंत्री रहे। एससी समाज का बड़ा राजनीतिक चेहरा।
- गजेन्द्र सिंह शेखावत
तीसरी बार लगातार सांसद बने। मोदी सरकार के दोनों कार्यकाल में मंत्री रहे। राजपूत समाज का राजनीतिक चेहरा।
- भूपेन्द्र यादव
पहली बार लोकसभा चुनाव जीता, दो बार राज्यसभा सदस्य रहे। बीते 3 साल से मंत्री और संगठन का लम्बा अनुभव।
- पीपी चौधरी
तीसरी बार लगातार सांसद चुने गए। मोदी के पहले कार्यकाल में विधि राज्यमंत्री पद संभाला।
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- महिमा कुमारी
पहली बार सांसद चुनी गईं। मोदी के निर्वाचन क्षेत्र वाराणसी और हिमाचल प्रदेश, पश्चिम बंगाल एवं मध्य प्रदेश से पारिवारिक और राजनीतिक रिश्ते हैं।
- भागीरथ चौधरी
दूसरी बार लगातार सांसद बने। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ और राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के करीबी। यह भी पढें :
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