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वो लड़की जिसने पिता व ससुर के नक्‍शे कदम पर चलने के लिए 5 बार छोड़ी सरकारी नौकरी

Teacher's Day 2022 : हौसलों से मंजिल मिलती रही। मुश्किलें आई भी तो मजबूत इरादों ने पस्त कर दी। पिता के बाद ससुर भी व्याख्याता मिले, पढ़ने-पढ़ाने के माहौल ने एसआई की परीक्षा पास करने के बाद भी उस फील्ड में जाने का मन नहीं हुआ।

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Sangeeta Sangwa

Teacher's Day 2022 : हौसलों से मंजिल मिलती रही। मुश्किलें आई भी तो मजबूत इरादों ने पस्त कर दी। पिता के बाद ससुर भी व्याख्याता मिले, पढ़ने-पढ़ाने के माहौल ने एसआई की परीक्षा पास करने के बाद भी उस फील्ड में जाने का मन नहीं हुआ। हेल्थ सुपरवाइजर से फर्स्ट ग्रेड टीचर तक का सफर तो हो गया, लेकिन अभी कॉलेज लेक्चरर बनने का सपना जल्द पूरा करने की जिद पर अड़ी हुई हैं।

कामयाबी की यह कहानी नागौर की संगीता सांगवा की है। पिता व्याख्याता थे तो चाचा वरिष्ठ अध्यापक। पढ़ना एक शौक सा बन गया। खेल का जुनून ऐसा कि सॉफ्टबॉल में तीन बार राज्यस्तर पर विजेता रहीं। यही नहीं कॉलेज में भी इनमें अव्वल रहीं। वर्ष 2008 में सब इंस्पेक्टर की परीक्षा में चयन हो गया। आसपास के लोग, मित्र, रिश्तेदार खुशी जाहिर करने बधाई देने आ पहुंचे पर एसआई बनने का मन ही नहीं हुआ।

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पुलिस की नौकरी, परिवार से दूरी के साथ अति व्यस्त जिंदगी के लिए संगीता तैयार नहीं हुई, उन्होंने इसके लिए आगे कदम ही नहीं बढ़ाया। इसके बाद वर्ष 2010 में हेल्थ सुरवाइजर की परीक्षा पास की, दो साल नौकरी की, लेकिन यहां भी मन नहीं माना। वर्ष 2012 में थर्ड ग्रेड टीचर, वर्ष 2014 में सेकेण्ड ग्रेड तो वर्ष 2016 में फर्स्ट ग्रेड टीचर बनीं। हर बार पहला प्रयास ही उनके लिए अंतिम हुआ। नेट क्लीयर कर लिया अब कॉलेज लेक्चरर की परीक्षा देने की तैयारी में जुटी हैं।

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बेहतर शिक्षा देने का संकल्प
संगीता कहती हैं कि एसआई, हेल्थ सुरपरवाइजर की परीक्षा पास होने के बाद भी टीचर बनने की धुन सवार थी। पुलिस की लाइन में जाना इसलिए भी नहीं चाहती थी कि इसको लेकर कई तरह की भ्रांतियां समाज, परिवार में थी। बच्चों को पढ़ाना अच्छा लगता है, शिक्षक का कार्य सर्वश्रेष्ठ है, संस्कार के साथ समाज को जोडऩे में बेहतर भूमिका निभाता है। शिक्षा में आए बदलाव को आज के बच्चे सहजता से कबूल कर रहे हैं, इसके पीछे भी शिक्षकों का योगदान है।