मददगार बनी इस दंपत्ति की जागरूकता से दोनों भाई-बहन को सकुशल परिजन तक पहुंचा गया। दम्पती को किशोर व किशोरी ने खुद को भाई-बहन बताया और कहा कि खाटूश्यामजी में परिजन से बिछड़ गए। परिजन के मोबाइल नंबर भी नहीं जानते और पैसे भी नहीं है।
शक होने पर किशोर के पिता से की बात
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