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विवाह की ‘उम्र बढ़ी, पर शादी पर ही टिकी महिलाओं की तरक्की

भारत में महिलाओं के लिए शिक्षा और नौकरी के अवसरों में वृद्धि हुई है। इसका असर उनके सामाजिक और आर्थिक स्तर पर नजर आने लगा है। बीते दिनों जारी 'भारत में महिला और पुरुष 2022Ó रिपोर्ट के अनुसार, विवाह के समय महिलाओं की औसत आयु बढ़ी है।

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किरण कौर
जयपुर. भारत में महिलाओं के लिए शिक्षा और नौकरी के अवसरों में वृद्धि हुई है। इसका असर उनके सामाजिक और आर्थिक स्तर पर नजर आने लगा है। बीते दिनों जारी 'भारत में महिला और पुरुष 2022Ó रिपोर्ट के अनुसार, विवाह के समय महिलाओं की औसत आयु बढ़ी है। 2017 में यह उम्र 22.1 थी, जो 2020 में बढ़कर 22.7 हो गई। इसके बावजूद महिलाओं की स्थिति अब भी कई मामलों में शादीशुदा जिंदगी पर ही निर्भर करती है। शादी के बाद नौकरीपेशा महिलाओं की संख्या घटने लगती है।
गांवों व शहरों में विवाह की औसत आयु में अंतर
देश में शहरी और ग्रामीण स्तर पर विवाह के समय महिलाओं की औसतन आयु में अब भी अंतर है। तीन साल पहले शहरों में 23.9 वर्ष और गांवों में 22.2 वर्ष की उम्र में महिलाएं शादी कर रही थीं। सबसे उच्च औसत आयु (26 वर्ष) पर महिलाएं जम्मू-कश्मीर में विवाह करती हैं। जबकि औसतन सबसे कम आयु (21 वर्ष) वाले राज्यों में पश्चिम बंगाल व झारखंड हैं। 2020 में दिल्ली में शादी के वक्त महिलाओं की औसत आयु 24.4 वर्ष, राजस्थान में 22.9 वर्ष, मध्यप्रदेश में 21.8 व छत्तीसगढ़ में 21.6 वर्ष थी।
नौकरी नहीं, शादी पलायन की बड़ी वजह
1981 से 2017 तक महिलाओं की साक्षरता दर में 40.5त्न की वृद्धि हुई जबकि पुरुषों के संबंध में यह बढ़ोतरी 28.3त्न ही है। बावजूद इसके शिक्षा के लिए 0.6त्न महिलाएं ही अन्य शहरों की ओर रुख करती हैं जबकि पुरुषों के मामले में यह आंकड़ा 4.7त्न है। 'भारत में प्रवासन 2020-21Ó रिपोर्ट के अनुसार, नौकरी, बेहतर अवसर, व्यवसाय, कार्यस्थल से नजदीकी या ट्रांसफर होने की वजह से 0.7त्न महिलाएं ही पलायन करती हैं जबकि 86.8त्न शादी की वजह से दूसरे स्थानों पर जाकर अपना घर बसाती हैं।