मोहित शर्मा.
जयपुर। राजस्थान सरकार ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति National Education Policy (NEP) 2020 और राष्ट्रीय पाठ्यचर्या ढांचा National Curriculum Framework (NCF) 2023 के अनुरूप कक्षा 1 से 5 तक के सिलेबस में व्यापक बदलाव किए हैं। नए शैक्षणिक सत्र की शुरुआत हो चुकी है, लेकिन बदली हुई किताबें अभी तक न तो छपी हैं और न ही सरकारी और निजी स्कूलों तक पहुंची हैं। इस देरी से शिक्षकों, अभिभावकों और छात्रों में असमंजस की स्थिति है, जिससे पढ़ाई प्रभावित हो रही है। कुछ किताबें जो स्कूलों तक पहुंची भी हैं, वे आधी-अधूरी हैं। विभाग दावा कर रहा कि 40 फीसदी किताबें स्कूलों तक पहुंच गई हैं मगर हकीकत कुछ और ही है।
राजस्थान राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद, उदयपुर ( Rajasthan State Council of Educational Research & Training, Udaipur ) ने कक्षा 1 से 5 तक का नया सिलेबस तैयार किया है। इसमें भारतीय संस्कृति, सनातन धर्म, और ऐतिहासिक वीरों जैसे महाराणा प्रताप, छत्रपति शिवाजी, सुभाष चंद्र बोस और सरदार वल्लभभाई पटेल की प्रेरक कहानियों को शामिल किया गया है। इसके अलावा, आधुनिक विषय जैसे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, सूचना प्रौद्योगिकी और उद्यमिता को भी जोड़ा गया है। किताबों के नाम भी बदले गए हैं, ताकि वे नए पाठ्यक्रम के अनुरूप हों।
राजस्थान राज्य पाठ्य पुस्तक मंडल Rajasthan State Textbook Board के अनुसार, कक्षा 1 से 5 तक इस सत्र में लगभग 1 करोड़ 20 लाख किताबें सरकारी स्कूलों में मुफ्त वितरित की जानी हैं, जबकि निजी स्कूलों में बिक्री के लिए किताबें अलग छपनी हैं। हालांकि, जुलाई के पहले सप्ताह तक किताबें पहुंचाने का लक्ष्य पूरा नहीं हो सका। नि:शुल्क और बिक्री वाली किताबें अभी तक वितरण केंद्रों तक नहीं पहुंची हैं, जिससे स्कूलों में पढ़ाई शुरू करने में मुश्किल हो रही है।
शिक्षा विभाग के सूत्रों का कहना है कि सिलेबस में बदलाव को मंजूरी और किताबों की सामग्री को अंतिम रूप देने में देरी हुई। लेखकों और विशेषज्ञों की समिति को नए सिलेबस के लिए व्यापक समीक्षा करनी पड़ी, जिससे छपाई का काम अप्रैल में शुरू हो सका। प्रकाशकों को सामग्री की सीडी देर से मिलने के कारण छपाई में और विलंब हुआ।
किताबों की अनुपलब्धता से शिक्षकों को नए सिलेबस को पढ़ाने में कठिनाई हो रही है। कई स्कूल पुरानी किताबों या डिजिटल संसाधनों पर निर्भर हैं, लेकिन यह नए पाठ्यक्रम के साथ तालमेल नहीं बिठा पा रहा। अभिभावकों का कहना है कि बच्चों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है, और निजी स्कूलों में किताबों की कमी से अतिरिक्त खर्च का बोझ बढ़ रहा है।
कक्षा | हिंदी | अंग्रेजी | गणित | पर्यावरण |
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कक्षा 1 | नन्हें कदम | लिटिल लर्नर्स | गिनती का खेल | - |
कक्षा 2 | नन्हें कदम | लिटिल लर्नर्स | गिनती का खेल भाग 2 | - |
कक्षा 3 | हिंदी सुमन | स्टेप इनटू इंग्लिश | इकतारा | हमारा परिवेश |
कक्षा 4 | हिंदी सुमन | स्टेप इनटू इंग्लिश | इकतारा | हमारा परिवेश |
कक्षा 5 | हिंदी सुमन | स्टेप इनटू इंग्लिश | इकतारा | हमारा परिवेश |
सत्र शुरू नहीं मिली किताबें
नया शिक्षा सत्र 1 जुलाई से शुरू हो गया है। अधिकांश स्कूलों में नि:शुल्क पाठ्य पुस्तकें नहीं पहुंची हैं। बिना किताबों के स्कूलों में पढ़ाई का माहौल नहीं बन रहा है।
शेर सिंह चौहान, प्रदेशाध्यक्ष, राजस्थान पंचायती राज एवं माध्यमिक शिक्षक संघ
सिलेबस बदलने से देरी हुई
इस बार हमने कक्षा 1 से 5 के सिलेबस में बदलाव किया है, जिसकी वजह से किताबें स्कूलों में पहुंचने में देरी हुई है। 40 प्रतिशत किताबें पहुंच गई है। शेष किताबें 15 जुलाई तक स्कूलों में पहुंच जाएंगी।
मदन दिलावर, शिक्षामंत्री, राजस्थान सरकार
Updated on:
09 Jul 2025 06:54 pm
Published on:
05 Jul 2025 02:18 pm