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समुद्री जीव-जंतुओं के रहस्यमयी संचार से उठ गया पर्दा

जीव-जंतुओं की दुनिया रहस्य से भरी है। इनसे जुड़े एक रोचक तथ्य के बारे में स्विट्जरलैंड की ज्यूरिख यूनिवर्सिटी के जीवविज्ञानी गैब्रियल जोर्गेविच-कोहेन ने खुलासा किया है। कोहेन ने पाया कि जिन समुद्री जीवों को पहले शांत समझा जाता था, वे वास्तव में संवाद करने में सक्षम हैं। उन्होंने कछुओं सहित समुद्री जीवों की 53 प्रजातियों की आवाज रिकॉर्ड करने के लिए ऑडियो व वीडियो उपकरणों का इस्तेमाल किया।

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जीव-जंतुओं की दुनिया रहस्य से भरी है। इनसे जुड़े एक रोचक तथ्य के बारे में स्विट्जरलैंड की ज्यूरिख यूनिवर्सिटी के जीवविज्ञानी गैब्रियल जोर्गेविच-कोहेन ने खुलासा किया है। कोहेन ने पाया कि जिन समुद्री जीवों को पहले शांत समझा जाता था, वे वास्तव में संवाद करने में सक्षम हैं। उन्होंने कछुओं सहित समुद्री जीवों की 53 प्रजातियों की आवाज रिकॉर्ड करने के लिए ऑडियो व वीडियो उपकरणों का इस्तेमाल किया।
फाइलोजेनेटिक तकनीक का किया प्रयोग

समुद्री जीवों की प्रजातियों में ध्वनि संचार का पता लगाने के लिए फाइलोजेनेटिक तकनीक का प्रयोग किया गया। यह विधि किसी प्रजाति के व्यवहार की तुलना करते हुए उसके वंशानुगत विकास क्रम को दर्शाती है। उदाहरण के लिए मानव और चिम्पैंजी व्यवहार साझा करने के लिए ध्वनि संचार करते हैं। यह तथ्य बताता है कि इनके पूर्वज भी ऐसा ही किया करते थे।

इलाके की रक्षा के लिए संचार

कछुए अंडों से बाहर आने के दौरान खतरे से बचने कएक साथ आवाज निकालते हैं। ऐसे ही न्यूजीलैंड का दुर्लभ सरीसृप टुआटेरा इलाके की रक्षा करने के लिए आवाज निकालता है। कोहेन ने पाया कि सभी कशेरुकी जीव, जो संचार के लिए ध्वनि का उपयोग करते हैं, 40 करोड़ वर्ष पहले इनके पूर्वज भी संवाद करने में सक्षम थे।

अमेजन वर्षा वनों में आया विचार

कोहेन को पहली बार ब्राजील के अमेजन वर्षावनों में कछुओं पर शोध करते हुए मूक प्रजातियों को रिकॉर्ड करने का विचार आया। लौटकर उन्होंने अपने पालतुओं की रिकॉर्डिंग शुरू की। इसमें होमर व पालतू कछुआ भी शामिल था। उन्होंने पाया कि होमर और अन्य पालतू कछुए आवाज निकाल रहे थे। बाद में अन्य प्रजातियों की रिकॉर्डिंग शुरू की। अब तक यही माना जाता था कि ये जीव शांत हैं, क्योंकि इनकी आवाज का पता लगाना मुश्किल था। कोहेन ने वीडियो रिकॉर्डिंग से समुद्री जीवों द्वारा निकाली गई ध्वनि से उनके व्यवहार की स्टडी की।