वर्तमान में कई दिग्गज मंत्रिमण्डल की कतार में हैं। कोई जाति के आधार पर उम्मीद लगाए हुए हैं तो कोई क्षेत्र के आधार पर अपनी पैरवी कर रहा है। इसके अलावा पहली बार बने विधायक को सीएम बनाए जाने से यह भी उम्मीद लग रही है कि कुछ नाम ऐसे भी सामने आ सकते हैं जो पहली बार ही विधायक बने हैं। इन्हें मंत्रिमण्डल में शामिल किया जा सकता है।
जहां कई विधायक अपने मंत्रिमण्डल में शामिल होने की उम्मीद लगाए हुए हैं,वहीं कुछ ऐसे भी विधायक हैं जो मंत्री के साथ-साथ प्रमुख मंत्रालय चाहते हैं। वे राज्यमंत्री की जगह केबिनेट में शामिल होना चाहते हैं।
राजस्थान की बात करें तो यहां तीस मंत्री बनाए जा सकते हैं। इनमें से एक मुख्यमंत्री व दो उपमुख्यमंत्री बन चुके हैं। उपमुख्यमंत्रियों को कौनसा विभाग दिया जाएगा,यह अभी तय नहीं है। तीन मंत्री बनने के बाद अब 27 मंत्री बन सकते हैं। चर्चा यह भी चल रही है कि मंत्रिमण्डल में एक साथ 27 मंत्री बनाए जाएंगे या फिर दो चरणों में मंत्रिमण्डल विस्तार होगा।
भाजपा के लिए सबसे बड़ी चिंता यह भी है कि इस बार भी राजस्थान में लोकसभा चुनाव में 25 में से 25 सीटें जीतना चाहती है। पिछले दो चुनाव में भाजपा ने सभी सीटें हासिल की हैं। हालांकि वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव एक सीट पर नागौर में रालोपा के गठबंधन किया था। ऐसे भी दोनों चुनाव में भाजपा का ही दबदबा रहा है। इस बार भी भाजपा कोई रिस्क नहीं लेना चाहती। मंत्रिमण्डल गठन में भी भाजपा यही रणनीति अपना सकती है। इस कारण भी जाति,क्षेत्र के साथ-साथ लोकसभा की सभी सीटों को जीतने वाले गणित के अनुसार ही मंत्रिमण्डल का गठन किया जाएगा।