राज्य सरकार भी एमएसएमई के लिए अलग से नई नीति ला रही है। इसमें जमीन आवंटन की प्रक्रिया से लेकर उद्योग लगाने तक बड़ी सहुलियत देने का दावा किया जा रहा है। ऐसा होता है तो प्रदेश में एग्री एवं फूड प्रोसेसिंग, जैम्स-ज्वैलरी, ग्लास -सेरेमिक्स, हैंडलूम-हैंडीक्राफ्ट्स, लॉजेस्टिक, वेयरहाउस, टैक्सटाइल, केमिकल, खनिज, होटल व हॉस्पिटेलिटी, हस्तशिल्प, इंजीनियरिंग गुड्स, कृषि, खाद्य प्रसंस्करण व डेयरी क्षेत्र में इंडस्ट्री ग्रोथ और तेज होगी।
बड़े प्लेयर होंगे तो छोटे-मध्यम उद्योग ज्यादा पनपेंगे माइक्रो, लघु और मध्यम श्रेणी के उद्योगाें के लिए अच्छा अवसर तब है जब उन्हें यहीं कच्चा माल मिले। विशेषज्ञों के मुताबिक यह तभी संभव है जब बड़े उद्योग और निवेशक यहां आएं। बड़े उद्योगों से जो बाय प्रोडक्ट निकलेंगे, वही छोटे, मध्यम उद्योगों के लिए कच्चा माल है। यह कच्चा माल यहीं मिलेगा तो बाहर से मंगाने की जरूरत नहीं रहेगी। इससे न केवल परिवहन लागत बचेगी, बल्कि सस्ता उत्पादन होगा।
इनके लिए यह करे सरकार -कच्चा माल दूसरे राज्यों में नहीं भेजा जाए, बल्कि उससे बनने वाले उत्पाद की प्रोसेसिंग यूनिट यहीं लगे। -निवेश करने वाले उद्योगपति को एक जगह से सभी तरह की एनओसी मिले। अभी एक दर्जन विभागों के पास जाना पड़ रहा है।
-विकसित भूमि की उपलब्धता बढाएं, वहां पहले ही मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध हों ताकि, उद्योग तत्काल स्थापित किया जा सकें। -फास्ट-ट्रैक डेस्क बनाएं, जिसे सप्ताह में एक बार जिला कलक्टर खुद मॉनिटरिंग करें। पड़ोसी राज्य यह कर रहे, यहां भी जरूरत
-एमएसएमई इकाई की स्थापना और संचालन के लिए पूर्व अनुमोदन की जटिल प्रक्रिया की आवश्यकता नहीं। -तीन से पांच वर्षों के लिए सभी निरीक्षण से छूट, ताकि इंस्पेक्टर राज वाली स्थिति नहीं बने और औद्योगिक इकाई आसानी से स्थापित और संचालित हो सके।
-आसान आवेदन प्रक्रिया और तत्काल जरूरी अनुमति सर्टिफिकेट जारी हो। (गुजरात, यूपी, हरियाणा इसी तर्ज पर काम कर रहे हैं) फैक्ट फाइल -21.80 लाख है राज्य में पंजीकृत एमएसएमई उद्योग -82 लाख लोग रोजगार से जुड़े हैं इससे
-25 प्रतिशत योगदान है सकल घरेलू उत्पादन में – 4 नम्बर पर है राजस्थान पंजीकृत इकाइयाें के लिए देश में प्रदेश की अर्थव्यवस्था में एक चौथाई हिस्सा एमएसएमई का है। इसके लिए बड़ी सहुलियतों की जरूरत है। राजस्थान में अच्छी संभावना है, इसीलिए निवेशक यहां आ रहे हैं। कुछ सहुलियतें मिल जाएं तो संचालन और उत्पादन और आसान हो जाए। मुख्यमंत्री से बात हुई है, उम्मीद है काम जल्द और बेहतर होंगे।
-घनश्याम ओझा, राष्ट्रीय अध्यक्ष, लघु उद्योग भारती