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ये है दुनिया की सबसे धीमी ट्रेन, 5 घंटे ​में सिर्फ 46 किलोमीटर

Slowest Train of India: देश में एक तरफ ट्रेनों की गति बढ़ाने पर बात हो रही है तो वहीं देश में एक ऐसी ट्रेन भी है जो कि देश की ही नहीं दुनिया की सबसे धीमी ट्रेन है। जी, हां यह पूरी तरह सच है। इसकी गति महज 10 किलोमीटर प्रतिघंटा है। विश्वास नहीं हो रहा है तो फिर आपको ऊटी जाकर इस ट्रेन में यात्रा करनी पड़ेगी। इस ट्रेन की टिकट जल्दी नहीं मिलती है। मानसून के दौरान और सर्दियों में कोहरे में ज्‍यादा सावधानी बरतें। मानसून के दौरान भी यह रूट बेहद खूबसूरत होता है। गर्मियों का समय यह सबसे बेहतर रूट है।

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Slowest Train of India: देश में एक तरफ ट्रेनों की गति बढ़ाने पर बात हो रही है तो वहीं देश में एक ऐसी ट्रेन भी है जो कि देश की ही नहीं दुनिया की सबसे धीमी ट्रेन है। जी, हां यह पूरी तरह सच है। इसकी गति महज 10 किलोमीटर प्रतिघंटा है। विश्वास नहीं हो रहा है तो फिर आपको ऊटी जाकर इस ट्रेन में यात्रा करनी पड़ेगी। इस ट्रेन की टिकट जल्दी नहीं मिलती है। मानसून के दौरान और सर्दियों में कोहरे में ज्‍यादा सावधानी बरतें। मानसून के दौरान भी यह रूट बेहद खूबसूरत होता है। गर्मियों का समय यह सबसे बेहतर रूट है।

तमिलनाडु के पर्वतीय क्षेत्र में चलने वाली मेट्टुपालयम ऊटी नीलगिरि पैसेंजर ट्रेन देश की ही नहीं बल्कि दुनिया की सबसे धीमी ट्रेन है। सरकारी वेबसाइट इन्वेस्ट इंडिया के अनुसार यह देश की सबसे तेज रफ्तार वाली ट्रेन की तुलना में 16 गुना धीमी है। ट्रेन लगभग 5 घंटे में 46 किमी की दूरी तय करती है। नीलगिरि माउंटेन रेलवे के सात मेन स्टॉपओवर हैं-कल्लार, एडरली, हिलग्रोव, रननीमेड, कटेरी रोड, कुन्नूर और लवडेल। नीलगिरि माउंटेन रेलवे एशिया का सबसे कठिन ट्रैक है। यह समुद्र तल से 1,069 फीट से लेकर 7,228 फीट तक है।

रेलवे का चमात्कारिक ट्रैक है नीलगिरि
तमिलनाडु के ऊटी में भी टॉय ट्रेन पर्यटकों के बीच आकर्षण का केंद्र है। इस विचित्र टॉय ट्रेन को 2005 में यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर स्थल घोषित किया गया था। ट्रेन की यात्रा 1899 में शुरू हुई थी और तब से यह पर्यटकों का मनोरंजन कर रही है। भारत की सबसे धीमी ट्रेन के रूप में जाना जाता है। नीलगिरि माउंटेन रेलवे का निर्माण अंग्रेजों ने करवाया था। नीलगिरि माउंटेन रेलवे ट्रैक को इंजीनियरिंग का चमत्कार कहा जाता हैं।

कुन्नूर से फ़र्नहिल तक खड़ी चढ़ाई
यह ट्रेन मेट्टुपालयम से पांच किलोमीटर तक ट्रेन सीधे रास्‍ते चलती है। इसके बाद 12 किलोमीटर 4,363 फीट की चढ़ाई करती है। ट्रेन अंधेरी घुमावदार सुरंगों, हरे-भरे जंगलों और पहाड़ी ढलानों से होते हुए केलर, कुन्नूर, वेलिंगटन, लवडेल और ऊटाकामुंड पहुंचती है। कुन्नूर से फ़र्नहिल तक एक खड़ी चढ़ाई चढ़ती है। इस दौरान पूरा दृश्य मनोरम हो जाता है। धुंध और कोहरा सफर को रोमांचक बना देता है।

मन मोह लेते हैं चाय के बागान और धान के खेत
मेट्टुपालयम से कल्लर तक एक लाइन में सुंदर धान के खेत दिखााई देंगे। वहीं आगे चलकर कल्लार से कुन्नूर तक 21 किमी की दूरी तक फैली एक ट्रेल शामिल है। कुन्नूर नीलगिरि पर्वत का दूसरा सबसे बड़ा हिल स्टेशन है। कुन्नूर से होकर गुजरने वाले नीलगिरि माउंटेन रेलवे ट्रैक के दोनों तरफ चाय के बागान देखने को मिलेंगे।