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सैलानियों के लिए अच्छी खबर, राजस्थान में यहां एक साथ कर सकेंगे लॉयन व टाइगर सफारी

Tiger safari : नाहरगढ़ जैविक उद्यान में अगस्त माह में टाइगर सफारी शुरू हो जाएगी। खास-बात है कि यह जयपुर की पांचवीं सफारी होगी। ऐसा देश में कहीं दूसरे शहर में नहीं है।

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Tiger safari

Rajasthan News : वन्यजीव प्रेमियों के लिए खुश खबर है। अब उन्हें बाघ-बाघिन का दीदार करने के लिए रणथम्भौर और सरिस्का नहीं जाना पड़ेगा। वो जयपुर में टाइगर सफारी कर सकते हैं। नाहरगढ़ जैविक उद्यान में अगस्त माह में टाइगर सफारी शुरू हो जाएगी। खास-बात है कि यह जयपुर की पांचवीं सफारी होगी। ऐसा देश में कहीं दूसरे शहर में नहीं है। वन विभाग इसकी तैयारी में जुट गया है। सफारी के लिए जंगल में बाघ-बाघिन का एक जोड़ा छोड़ा जाएगा। खास बात है कि नाहरगढ़ जैविक उद्यान राज्य का पहला ऐसा जैविक उद्यान होगा, जहां सैलानियों को लॉयन व टाइगर सफारी दोनों मिलेगी।

दरअसल, नाहरगढ़ जैविक उद्यान में 30 वर्ग किलोमीटर भूमि पर टाइगर सफारी विकसित की गई है। इसका निर्माण कार्य गत वर्ष ही पूरा होना था, लेकिन फंड की कमी समेत कई कारणों से पूरा नहीं हो सका। अब यह पूरी तरह से बनकर तैयार है। अगस्त माह के दूसरे सप्ताह तक इसे शुरू किया जा सकता है। इसकी किराया सूची और सफारी की टाइमिंग का प्रस्ताव बनाकर अरण्य भवन में भेज दिया गया है।

मानसून आते ही यहां बाघ-बाघिन का जोड़ा छोड़ दिया जाएगा ताकि वो जंगल को जान सके। इसके अलावा एक जोड़ा महाराष्ट्र से भी लाया जाएगा। हालांकि, उसे जंगल की बजाय डिस्प्ले एरिया में ही रखा जाएगा क्योंकि जंगल छोटा होने की वजह से केवल यहां एक ही जोड़ा रहेगा। वन अधिकारियों का कहना है कि सफारी के लिए प्रति व्यक्ति से 300 रुपए चार्ज लिया जाएगा। लॉयन सफारी का चार्ज 200 रुपए ही है, हालांकि उसे बढ़ाया जा सकता है।

फैक्ट फाइल

  • निर्माण कार्य पर 4.5 करोड़ रुपए हुए खर्च।
  • 30 वर्ग किमी में बनाई गई टाइगर सफारी।
  • एक जोड़ा छोड़ा जाएगा जंगल में।
  • 45 मिनट टाइगर सफारी कर सकेंगे सैलानी। इसके लिए चार वाहन लगाए जाएंगे।
  • 8 किलोमीटर बनाया गया है सफारी ट्रैक।
  • 1 भव्य द्वार, 3 तलाई, 1 वॉच टावर, 2 गुफा व 10 शेल्टर भी बनाए गए हैं।

सैलानियों को दूर नहीं जाना पड़ेगा

जयपुर में बड़ी संख्या में देशी-विदेशी सैलानी आते हैं। उनमें से कई सैलानी हवामहल, आमेर किला समेत अन्य पर्यटन स्थलों के अलावा वन्यजीवों को भी देखना पसंद करते हैं। इसलिए वो आमेर में हाथी की सफारी, आमागढ़ व झालाना में लेपर्ड सफारी व नाहरगढ़ जैविक उद्यान में लॉयन सफारी कर पाते हैं। अब उन्हें बाघों के दीदार के लिए कहीं ओर नहीं जाना पड़ेगा। ऐसे में उनके समय और खर्च दोनों की बचत होगी। साथ ही सरकार का राजस्व भी बढ़ेगा। खास-बात है कि यह जयपुर की पांचवीं सफारी होगी। ऐसा देश में कहीं दूसरे शहर में नहीं है।

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