
जयपुर।
शहर में हर साल लाखों देसी-विदेशी पर्यटक राजस्थानी आतिथ्य सत्कार और 'पधारो म्हारे देस' की संस्कृति को निहारने के मकसद से आते हैं। लेकिन शहर के पर्यटक स्थलों से लेकर बस स्टैंड और रेलवे स्टेशन तक लपकों का ऐसा जाल फैला हुआ है कि कल्पना में बसी 'खम्मा घणी' की मिठास बुरे अनुभव में बदल जाती हैं। सीजन कोई भी लेकिन शहर में सक्रिय इन लपकों के लिए हमेशा कमाई का मौसम रहता है। बस और ट्रेन से उतरते ही पर्यटकों को रिझाने और अपने साथ ले जाने का खेल शुरू हो जाता है। पर्यटन थाना पुलिस हर साल हजारों लपकों को पकड़ती है लेकिन ठोस कानून के अभाव में ये लोग जमानत पर छूट कर फिर से अपने क्षेत्र में सक्रिय हो जाते हैं। यदि कानून सख्त बना दियें जायें तो इन पर लगाम लग सकती है।
कमीशन का है सारा खेल
लपकागिरी का ये सारा खेल कमीशन पर टिका हुआ है। बस स्टॉप, रेलवे स्टेशन और होटल के अलावा स्मारकों के आस-पास सबसे ज्यादा सक्रिय रहने वाले लपके पावणो को सस्ती दरों पर शहर के स्मारक घूमाने, खरीददारी करवाने और अच्छे होटल में ठहरने की व्यवस्था करवाने का झांसा देकर इन्हें फांसने की कोशिश करते हैं। इतनी मेहनत सिर्फ इसलिए कि इन जगहों से इन्हें अच्छा-खासा कमीशन मिल जाता है। अच्छा कमीशन न मिलने पर ये लोग दूसरे होटल और शॉपिंग सेंटर्स का रुख कर लेते हैं।
महज 500 रुपए जुर्माना
लपकागिरी करते हुए अगर कोई व्यक्ति पकड़ा जाता है तो उसके लिए राजस्थान पर्यटन एक्ट 16 क्लोज 2 के तहत दोषी माना जाता है। कानूनी कार्रवाई के बाद दोषी व्यक्ति को कोर्ट में पेश किया जाता है जहां उसे 500 रुपए जुर्माना लगाकर छोड़ दिया जाता है। दोबारा पकड़े जाने पर यह राशि दोगुनी हो जाती है। साथ ही जमानत भी आसानी से मिल जाती है। ऐसे में लपकों के दिल में सजा का डर भी नहीं है। जुर्माना भरकर ये लोग फिर से अपने पुराने एरिया में सक्रिय हो जाते हैं। इससे लपकों की संख्या कम होने की बजाय लगातार बढ़ रही है।
इन जगहों से ज्यादा आते
-शास्त्रीनगर
-हसनपुरा
-ब्रह्मपुरी
-आमेर
-तमिल कॉलोनी
-गलता
इन जगहों पर ज्यादा सक्रिय
-पर्यटन स्मारक
-होटल
-सिनेमा हॉल
-बस स्टैंड
-रेलवे स्टेशन
-प्रसिद्ध मंदिर
-परकोटा बाजार
फैक्ट फाइल
-110 लपके पकड़े गए हैं जनवरी से अभी तक
-500 रुपए जुर्माना होता है पकड़े जाने पर
-15 से 20 लपकों पर कार्रवाई होती है प्रतिमाह
Published on:
27 Jun 2018 05:07 am
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