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Railway: कोहरे में भी 160 किलोमीटर की रफ्तार से दौड़ेंगी ट्रेनें, लोको पायलट को मिला डिजिटल डैशबोर्ड का साथ

राजस्थान होकर गुजर रहे दिल्ली-मुंबई रेलमार्ग पर इस बार घने कोहरे में भी ट्रेनों की रफ्तार धीमी करने की जरूरत नहीं पड़ेगी। मथुरा से नागदा के बीच 549 किलोमीटर लंबा रेलमार्ग अत्याधुनिक कवच 4.0 सुरक्षा प्रणाली से लैस हो गया है।

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भारतीय रेल 4.0 सिस्टम से लैस,फोटो पत्रिका

Railway Safety: राजस्थान होकर गुजर रहे दिल्ली-मुंबई रेलमार्ग पर इस बार घने कोहरे में भी ट्रेनों की रफ्तार धीमी करने की जरूरत नहीं पड़ेगी। मथुरा से नागदा के बीच 549 किलोमीटर लंबा रेलमार्ग अत्याधुनिक कवच 4.0 सुरक्षा प्रणाली से लैस हो गया है। गत जुलाई माह में इस कवच प्रणाली को मथुरा-कोटा सेक्शन के 324 किलोमीटर रेलखंड में चालू किया गया था, अब कोटा से नागदा के बीच भी इसे चालू कर दिया है। सोमवार को कवच 4.0 से सुसज्जित पहली ट्रेन कोटा-वडोदरा एक्सप्रेस (19820) सुबह 11 बजे कोटा से रवाना हुई। इसके साथ ही मथुरा से नागदा के बीच यह ट्रैक 160 किमी प्रति घंटे की रफ्तार के लिए सक्षम हो गया।

राजस्थान से होकर गुजर रहा ट्रैक

यह ट्रैक उत्तरप्रदेश, राजस्थान और मध्यप्रदेश राज्यों से गुजरता है। अब लोको पायलटों को कोहरे या कम दृश्यता में सिग्नल देखने के लिए केबिन से बाहर झांकने की जरूरत नहीं रहेगी। कवच डैशबोर्ड पर सिग्नल दिखेगा। कवच 4.0 को 160 किमी प्रति घंटे की गति तक के लिए अनुमोदित किया गया है।

स्वेदशी प्रणाली से बढ़ेगी ट्रेनों की सुरक्षा

रेलवे ने कवच स्वचालित ट्रेन सुरक्षा प्रणाली का स्वदेश में ही डिजाइन, विकास और निर्माण किया है। कवच 4.0 एक प्रौद्योगिकी प्रधान प्रणाली है। इसे अनुसंधान डिजाइन एवं मानक संगठन (आरडीएसओ) ने जुलाई 2024 में अनुमोदित किया था। कई विकसित देशों को ट्रेन सुरक्षा प्रणाली विकसित करने और स्थापित करने में 20 से 30 साल लग गए। वहीं कोटा-नागदा सेक्शन पर कवच 4.0 का निर्माण बहुत ही कम समय में पूरा किया गया है। कोटा मंडल के संकेत और दूर संचार विभाग के अधिकारी और कर्मचारियों के कठिन परिश्रम से यह प्रोजेक्ट कम समय में पूरा हो पाया है।