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जयपुर में ट्रैकिंग… आइएएस, आइपीएस, प्रोफेसर व डॉक्टर भी कर रहे पहाड़ियों की सैर

जयपुर। जयपुर की पहाड़ियों पर ट्रैकिंग की कदमताल बढ़ती जा रही है। इसमें न केवल युवा ही, बल्कि आइएएस, आइपीएस, आइएफएस जैसे आला अफसरों साथ प्रोफेसर, डॉक्टर, बिजनेसमैन भी ट्रैकिंग पर जा रहे हैं। अपने व्यस्तम समय में भी ये लोग खुद की फिटनेस को लेकर जागरूक हो रहे हैं। इन लोगों को राजधानी में […]

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जयपुर। जयपुर की पहाड़ियों पर ट्रैकिंग की कदमताल बढ़ती जा रही है। इसमें न केवल युवा ही, बल्कि आइएएस, आइपीएस, आइएफएस जैसे आला अफसरों साथ प्रोफेसर, डॉक्टर, बिजनेसमैन भी ट्रैकिंग पर जा रहे हैं। अपने व्यस्तम समय में भी ये लोग खुद की फिटनेस को लेकर जागरूक हो रहे हैं। इन लोगों को राजधानी में ही हिल स्टेशन के जैसे ट्रैकिंग के कई विकल्प भी मिल रहे हैं। हर वीकेंड पर ये लोग नाहरगढ़, झालाना, चूलगिरी व खोहनागोरियान की पहाड़ी में ट्रैकिंग पर जा रहे हैं।

ट्रैकिंग के दौरान ये लोग समूह में 10 से 12 किलोमीटर पहाड़ों पर घूमते हैं। इसके लिए घर से सुबह जल्दी ही निकल जाते हैं और 3 से 4 घंटे तक पहाड़ियों की सैर करते हैं। इसमें महिलाएं भी शामिल है। ट्रैकिंग के दौरान ये लोग पर्यावरण बचाने का भी काम करते हैं। ये लोग पहाड़ियों पर सिंगल यूज प्लास्टिक को एकत्र कर लाते हैं, उसे नीचे लाकर डस्टबिन में डाल देते हैं। वहीं बीज भी साथ लेकर जाते हैं, जिन्हें पहाड़ियों और जंगल में बिखेर देते हैं। बारिश के दौरान हर वीकेंड पर पहाड़ियों बीज बिखेरे हैं।

बनाया ग्रुप, हर बार लोग जुड़ते जा रहे
ट्रैकिंग के लिए इन लोगों ने एक ग्रुप भी बना रखा है, जिस पर पूरी जानकारी एक—दूसरे को शेयर करते हैं। सुबह कहां मिलना है, कहां से ट्रैकिंग शुरू करनी है। पहाड़ियों पर ट्रैकिंग करने वालों को भी ये लोग नि:शुल्क साथ लेकर जाते हैं। लोगों ने बताया कि 5 दिन आफिस के कामकाज के बीच तनाव भरी जिंदगी में पहाड़ों की सैर उन्हें सुकून दे रही है।

नई-नई जगहों को कर रहे एक्स्प्लोर
ट्रैकिंग पर जाने वाले लोगों ने बताया कि खोहनागोरियान की पहाड़ियों पर स्थित केदारनाथ मंदिर पर जाना शुरू किया। इसके बाद हर वीकेंड पर शनिवार व रविवार को यहां जाने लगे। धीरे-धीरे उनके साथ अन्य लोग भी जुड़ते गए। इसके बाद झालाना की पहाड़ियों पर ट्रैकिंग शुरू की। जब इस क्षेत्र को लेपर्ड सफारी घोषित किया तो इन्होंने चूलगिरी की पहाड़ियों पर ट्रैकिंग शुरू की। अब वे हर शनिवार और रविवार को नई-नई जगहों को एक्स्प्लोर कर रहे हैं। उनके साथ यूथ भी जुड़ते जा रहे हैं।

शानदान अनुभव
ग्रुप के साथ 5-6 माह से मैं जयपुर की पहाड़ियों पर ट्रैकिंग कर रहा हूं। फिटनेस के साथ ही तनाव से बाहर निकलने का यह शानदान अनुभव है। प्राकृतिक खूबसूरती देखकर लगा कि जयपुर में भी इतने सुंदर पहाड़ व झरने हैं, जो शहर की सुंदरता को एक्स्प्लोर कर रहे हैं।
- हेमंत प्रियदर्शी, डीजी साइबर क्राइम

फिटनेस के हिसाब से बहुत अच्छा
ट्रैकिंग करना फिटनेस के हिसाब से बहुत अच्छा है। शुद्ध हवा मिल जाती है। मैं नियमित रूप से ट्रैकिंग पर जा रहा हूं, कामकाज की अधिकता के चलते कभी-कभार ही नहीं जाना होता है। बाकि ग्रुप के साथ ट्रैकिंग पर जाना अच्छा लगता है।
- एस. सेंगथिर, निदेशक आरपीए

ट्रैकिंग के कई विकल्प
जयपुर की फिजां में भी वह सब कुछ है, जो नैनीताल, मसूरी और शिमला में है, सिर्फ उसे तलाशने की जरूरत है। जयपुर में ट्रैकिंग के जितने विकल्प हैं, उतने तो किसी हिल स्टेशन के लिए प्रख्यात जगह पर भी नहीं होंगे। यहां हर पहाड़ी पर ट्रैकिंग की जा सकती है।
- प्रोफेसर आर.डी. अग्रवाल, सेवानिवृत प्रोफेसर राजस्थान विश्वविद्यालय

शारीरिक व मानसिक लाभ
ट्रैकिंग से शारीरिक, मानसिक व आध्यात्मिक लाभ मिलता है। प्रकृति के बीच जाने से मन एकाग्र होता है। ध्यान की यह सबसे सरल विधि है, इसके परिणाम भी साथ की साथ मिलते हैं। इससे एकाग्रता बढ़ती है। स्ट्रेस फ्री दिनचर्या का एहसास होता है।
- एस.के. वर्मा, योग गुरू