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संकट में संकटमोचक, देवस्थान विभाग की शरण में देव… हादसों का हो रहा इंतजार!

भक्त जान जोखिम में डालकर कर रहे पूजा अर्चना, कभी भी हो सकती अनहोनी

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जयपुर

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Shipra Gupta

Sep 18, 2023

हर्षित जैन

जयपुर. राजधानी में देवस्थान विभाग के अधीन मंदिरों में खुद भगवान ही सुरक्षित नहीं हैं। हालात यह है कि कोई अनहोनी यहां ठाकुरजी के सामने कभी भी हो सकती है। देवस्थान विभाग के जिम्मेदारों को पूरे मामले से अवगत करवाया जा चुका है। इसके बावजूद हालात जस के तस बने हैं।

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बल्ली-फंटे और जैक के सहारे टिका मंदिर


माणक चौक थाने के पीछे आनंदेश्वर महादेव और दक्षिणमुखी हनुमान मंदिर में मेट्रो के दौरान हुए निर्माण से काफी क्षति हो चुकी है। मंदिर में दरारें आ चुकी हैं। छत की पट्टियां गिर सकती हैं। मंदिर बल्ली-फंटों, पाइप के सहारे टिका है। इन्हीं सबके बीच गुजरकर भगवान के दर्शन हो पाते हैं। हालात ऐसे हैं कि मंदिर में खुद संकटमोचक अब संकट में हैं। स्थानीय निवासी भी मंदिर में डरते-डरते पूजन कर तुरंत लौट जाते हैं। स्थानीय मनोज शर्मा, नवीन शर्मा के मुताबकि यह मंदिर 300 साल पुराना बताया जाता है। ऐसे में धार्मिक के साथ इसका ऐतिहासिक महत्व भी है। चारदीवारी में विभाग के अधीन कई दुकानों का हर महीने लाखों रुपए किराया आता है। इसके बावजूद इस राशि से मंदिर के हालात नहीं सुधारे जा रहे।

मंदिर की स्थिति का जायजा लिया था, पूरा मामला संज्ञान में है। भक्तों को परेशानी हो रही है। अधिकारियों से बैठक कर जल्द उचित समाधान कर कायापलट की जाएगी। शकुंतला रावत, मंत्री देवस्थान विभाग

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जयपुर मेट्रो के निर्माण के समय चारदीवारी से हटाए गए तेरह छोटे मंदिर में से 12 के भगवान को उचित स्थान पर विराजमान होने का आज भी इंतजार है। छह मंदिरों को माणक चौक स्कूल के पीछे, दो मंदिर को त्रिपोलिया बाजार स्थित तंवर जी का नोहरा, पांच को पुराने आतिश मार्केट में स्थापित किया जा चुका है। स्थानीय रणजीत मोदी ने बताया कि छोटी-बड़ी चौपड़ पर मेट्रो के काम के समय डिजाइन में यह भी था कि मंदिर को पुन: मूल जगह विराजमान किया जाए। लोगों के अनुसार लगातार मांग उठाई जा रही है कि अन्य मंदिरों को भी उचित जगह मिले। कष्टहरण महादेव, गौरीशंकर महादेव सहित अन्य मंदिरों को मूलस्थान पर विराजमान के लिए सात साल से लड़ाई जा रही है।

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बजट राशि के इंतजार में विभाग


मामले में देवस्थान विभाग के अधिकारियों का कहना है कि मंदिर में बड़ी राशि मुहैया होने पर मंदिर की कायापलट की जा सकती है। पूरे मंदिर को सुधारने के लिए करीब 50 लाख रुपए का खर्चा आएगा। इसकी फाइल भी उदयपुर मुख्यालय में भेजी गई है। विभाग की मंत्री शकुंतला रावत हाल ही आनंदेश्वर महादेव मंदिर का भी दौरा कर चुकी हैं।

यहां तुरंत जीर्णोद्धार की जरूरत


शहर में बारह प्राचीन मंदिर ऐसे हैं जहां तुरंत जीर्णोद्धार की जरूरत है। चांदनी चौक स्थित प्रतापेश्वर महादेव, घाट की गुणी स्थित फतेहकुंज बिहारी जी, रामेश्वरम जी, रामगढ़ मोड़ स्थित रघुनाथ जी, चांदपोल बाजार स्थित नवलकिशोर जी मंदिर, चांदी की टकसाल में रतनबिहारी मंदिर सहित अन्य मंदिर ऐसे हैं जहां आठ से दस लाख रुपए की लागत से जीर्ण—शीर्ण दीवारों सहित अन्य जरूरी काम होने हैं।