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गंगा आरती की तर्ज पर दक्षिण काशी में होगी ‘तुंग आरती’

दावणगेरे. वाराणसी के काशी विश्वनाथ मंदिर के सामने सायंकालीन गंगा आरती की तरह हरिहर में तुंगभद्र नदी के तट पर ‘तुंग आरती’ आयोजित की जाएगी। इसके लिए एक महत्वाकांक्षी परियोजना तैयार की गई है जिसे पंचमशाली पीठ प्रमुख स्वामी वचनानंद केमार्गदर्शन में कार्यान्वित किया जा रहा है।

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गंगा आरती की तर्ज पर दक्षिण काशी में होगी ‘तुंग आरती’

शिलान्यास करते मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई।

बेंगलूरु.दावणगेरे. वाराणसी के काशी विश्वनाथ मंदिर के सामने सायंकालीन गंगा आरती की तरह हरिहर में तुंगभद्र नदी के तट पर ‘तुंग आरती’ आयोजित की जाएगी। इसके लिए एक महत्वाकांक्षी परियोजना तैयार की गई है जिसे पंचमशाली पीठ प्रमुख स्वामी वचनानंद केमार्गदर्शन में कार्यान्वित किया जा रहा है। आने वाले दिनों में हरिहर को एक प्रमुख पर्यटक एवं तीर्थ स्थल के रूप में विकसित किया जाएगा। यह बातें मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने हरिहर में तुंग आरती के लिए रविवार को 108 योग मंडपों का शिलान्यास करने के बाद कही।

दक्षिण में पहली योग मंडप परियोजना

मुख्यमंत्री ने कहा कि तुंग आरती उत्तर भारत में आयोजित हो रही लोकप्रिय गंगा आरती की तरह होगी। तुंगभद्र नदी की दैनिक पूजा और आरती के लिए सुविधाएं तैयार की जा रही हैं। पूरे क्षेत्र को साफ करने और पुल के दोनों किनारों पर पैदल पथ विकसित करने की योजना है। इसे जल्द ही पूरा किया जाएगा और लोगों को समर्पित किया जाएगा। हरिहर की परियोजना दक्षिण भारत में पहली योग मंडप परियोजना है। परियोजना का प्रस्ताव पंचमसाली पीठ के प्रमुख वचनानंद स्वामी ने दिया था।

दक्षिण की काशी है हरिहर

मुख्यमंत्री ने कहा, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने काशी विश्वनाथ मंदिर का पूरी तरह जीर्णोद्धार कराया। पहले भीड़भाड़ वाली दुकानों के बीच काशी विश्वनाथ मंदिर को ढूंढना पड़ता था। अब सभी घाटों की सफाई कर दी गई है और मंदिर को भव्य रूप दिया गया है। गंगा आरती बड़े उत्साह के साथ की जा रही है। इसी तरह हम चाहते हैं कि दक्षिण भारत में तुंगभद्र आरती की जाए। हरिहर को दक्षिण की काशी के नाम से जाना जाता है। यह बेंगलूरु से लगभग 275 किलोमीटर उत्तर में है।

अद्भुत होगा भगवान हरि और हर का संगम

मुख्यमंत्री ने कहा इस परियोजना में हरिहरेश्वर से पैदल मार्ग का विकास, प्रदूषित नदी के पानी की सफाई और शहरी क्षेत्रों में नदी प्रदूषण की रोकथाम शामिल है। भगवान हरि और भगवान हर का संगम अद्भुत होगा। तुंगभद्रा तट को एक शीर्ष पर्यटक स्थल के तौर पर विकसित किया जाएगा। राज्य सरकार ने इसके लिए कई अन्य परियोजनाएं भी शुरू की हैं। हरिहर, चेन्नई-मुंबई औद्योगिक गलियारे का भी एक हिस्सा है और इसलिए सरकार का पूरा सहयोग मिलेगा। लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) ने 40 किमी सडक़ का विकास किया है। राष्ट्रीय राजमार्ग विकास निगम से सरकार ने 20 करोड़ रुपए जारी किए हैं। इसके अलावा 59 किलोमीटर ग्रामीण सडक़ों के विकास की भी मंजूरी दी गई है। पुलिस पब्लिक स्कूल और कर्नाटक पब्लिक स्कूल यहां स्थापित होंगे। इसके लिए पहले ही 40 करोड़ रुपए दिए जा चुके हैं।

संस्कृति को दिया जाएगा बढ़ावा

मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रकृति के पांच तत्वों (पंचभूत) में जल संरक्षण और स्वच्छता सबसे महत्वपूर्ण है। सभ्यताएं पिछले 5 हजार वर्षों से नदियों के किनारे पनपी। हर नदी ने अपनी संस्कृति को बढ़ावा दिया है। सभ्यता और संस्कृति का विकास एक साथ हुआ है। कुछ का मानना है कि सभ्यता ही संस्कृति है। लेकिन, ऐसा नहीं है। परिवर्तन सभ्यता है और हम जो हैं वह संस्कृति को दर्शाता है। तुंगभद्र के तट पर सभ्यता पनपी है। संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए यह कार्यक्रम तैयार किया गया है।

बड़ा शक्ति केंद्र, होगा व्यापक विकास

उन्होंने कहा कि हरिहर इतना बड़ा शक्ति केंद्र है क्योंकि यहां भगवान हरि और भगवान हर एक साथ जुड़े हुए हैं। सरकार इसके व्यापक विकास के लिए कई परियोजनाएं तैयार की हैं। इन्हें इसी साल लांच किया जाएगा। दावणगेरे और हरिहर राज्य के मध्य भाग में हैं। सरकार उनके विकास को अधिक प्राथमिकता देगी। कार्यक्रम में शहरी विकास और जिला प्रभारी मंत्री बैरती बसवराज, उद्योग मंत्री मुरुगेश निराणी, सांसद जीएम सिद्धेश्वर, विधायक रामप्पा, पंचमशाली मठ के वचनानंद स्वामी आदि उपस्थित थे।