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अनियंत्रित खनन से पर्यावरण संतुलन व जैव विविधता का हो रहा नाश

खनन से प्रदेश के पहाड़ खोखले हो गए हैं, कई जगह तो खाइयां तक बन गई है।

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जयपुर

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Mahesh Jain

May 12, 2025

खनन से प्रदेश के पहाड़ खोखले हो गए हैं

खनन से प्रदेश के पहाड़ खोखले हो गए हैं

सरकार को चाहिए कि वह पारदर्शिता, पर्यावरण संरक्षण, और जनहित को प्राथमिकता देते हुए कठोर नीतियां लागू करे

महेश कुमार जैन

राजस्थान खनिज संपदा से समृद्ध राज्य है, जहां संगमरमर, ग्रेनाइट, चूना पत्थर, जिप्सम जैसे खनिज प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं। यह खनिज संपदा राज्य की अर्थव्यवस्था को संबल देती है, लेकिन पिछले कुछ वर्षों से अनियंत्रित अवैध खनन से यह क्षेत्र खोखला होता जा रहा है। खास बात यह है कि सरकारी तंत्र के खनन पर अंकुश को लेकर प्रयास मात्र दिखावे के साबित हो रहे हैं। खनन माफिया के अलावा खान संचालक भी लीज क्षेत्र के आसपास बेधड़क अवैध खनन कर रहे हैं। प्रदेश में गत एक माह में केवल लीज संचालकों से ही सरकार अवैध खनन के मामले में 300 करोड़ की राशि से अधिक की पैनल्टी वसूल चुकी है। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि अवैध खनन किस हद तक बढ़ता जा रहा है। अब तो खनन मामले में कार्रवाई के बजाए घुसखोरी कैसे की जा सकती है, इस पर फोकस हो गया है। हाल ही में खनन से जुड़े भ्रष्टाचार के मामले में एक विधायक का नाम उजागर होना चिंतनीय है। सवाल की आड़ में घूसखोरी जैसे मामले सामने आने से खनन माफिया व राजनेताओं के गठजोड़ जैसी स्थिति के संकेत मिलने लगे हैं। स्थिति यह है कि इस सत्र में ही खनन से जुड़े राजस्थान विधानसभा में 262 सवाल लगाए जा चुके हैं। लोकसभा राज्यसभा में भी खनन से जुड़े 22 सवाल लगाए गए हैं।

राजस्थान में अवैध खनन के कारण पर्यावरण को भारी क्षति पहुंची है। अरावली पर्वतमाला, जो राजस्थान के पारिस्थितिक संतुलन की रीढ़ है, खनन के चलते जगह-जगह से क्षत-विक्षत हो रही है। कई गांवों में खनन से प्रदेश के पहाड़ खोखले हो गए हैं, कई जगह तो खाइयां तक बन गई है। कई स्थानों पर पहाड़ों के अस्तित्व ही समाप्त हो गए हैं। इसके साथ ही, भूजल स्तर में गिरावट, वनों की कटाई और जैव विविधता का नाश इस क्षेत्र के भविष्य पर प्रश्नचिन्ह खड़ा कर रहा है।

सरकार को चाहिए कि वह पारदर्शिता, पर्यावरण संरक्षण, और जनहित को प्राथमिकता देते हुए कठोर नीतियां लागू करे। साथ ही, खनन पट्टों के आवंटन में डिजिटल ट्रैकिंग और जनसुनवाई की प्रक्रिया को मजबूत किया जाए ताकि जनप्रतिनिधियों की जवाबदेही तय हो सके।

राजस्थान में खनन केवल विकास का साधन नहीं, बल्कि सत्ता, पर्यावरण और समाज के बीच संतुलन की एक कठिन परीक्षा भी है। यदि समय रहते इस पर गंभीरता से ध्यान नहीं दिया गया, तो यह समृद्धि का साधन विनाश का कारण बन सकता है।