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मान्यता: : हिरण्यकश्यप से कोड़े खाने पर नहीं चढ़ता वर्षभर बुखार

जयपुर। राजधानी जयपुर से 20 किलोमीटर दूरी पर बसे गोनेर कस्बे में भगवान लक्ष्मी जगदीश मंदिर में नृसिंह जयंती के दिन हुई नृसिंह लीला में कुछ अलग ही नजारा देखने को मिला। यहां हुई लीला में भगवान नृसिंह ने जहां सिंहासन पर विराज कर भक्तों को आशीर्वाद दिय। वहीं हिरण्यकश्यप ने लोगों पर खूब कोड़े […]

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नृसिंह जयंती

नृसिंह लीला

जयपुर। राजधानी जयपुर से 20 किलोमीटर दूरी पर बसे गोनेर कस्बे में भगवान लक्ष्मी जगदीश मंदिर में नृसिंह जयंती के दिन हुई नृसिंह लीला में कुछ अलग ही नजारा देखने को मिला। यहां हुई लीला में भगवान नृसिंह ने जहां सिंहासन पर विराज कर भक्तों को आशीर्वाद दिय। वहीं हिरण्यकश्यप ने लोगों पर खूब कोड़े बरसाए। श्री लक्ष्मी जगदीश मंदिर के महंत हनुमान दास ने बताया कि हिरण्यकश्यप से कोड़े खाने से वर्षभर बुखार नहीं चढ़ने की मान्यता के चलते लोग खुशी-खुशी कोड़ों का प्रहार झेलते हैं। नृसिंह भगवान खंभ फाड़ कर प्रकट हुए और विभिन्न लीलाएं करते हुए हिरण्यकश्यप का वध किया। इससे पहले हनुमान जी प्रजा को हिरण्यकश्यप के कहर से बचाने के लिए आते है और गदा युद्ध करते हैं। दोनों में खूब गदा युद्ध होता है, लेकिन हनुमानजी हिरण्यकश्यप को हरा नहीं पाते है और वापस लौट जाते हैं। इसके बाद भगवान नृसिंह खंभ फाड़कर निकलते है और हिरण्यकश्यप का वध करते हैं। इस दौरान जगदीश चौक भगवान के जयकारों से गुंजायमान हो उठा। इसके बाद भगवान नृसिंह सिंहासन पर विराज कर भक्तों को आशीर्वाद दिया। इसके बाद मंदिर में भगवान की महाआरती हुई। लीला को देखने के लिए गोनेर ही नहीं दूर दराज के लोग आते हैं।