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वसुंधरा सरकार का चुनाव से पहले सबसे बड़ा दांव, अब लोगों को बाटें जाएंगे JIO कंपनी के मोबाइल

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vasundhara raje

जयपुर/ कोटा।

वसुंधरा सरकार अब भामाशाह कार्डधारकों को लुभाने के लिए मोबाइल देगी। 30 सितम्बर तक शिविर लगाकर मोबाइल बांटने होंगे। इसका जिम्मा जिला कलक्टरों को सौंपा गया है। सूत्रों के अनुसार सूचना प्रौद्योगिकी एवं संचार विभाग के प्रमुख शासन सचिव अखिल अरोरा की आेर से हाल में सभी जिला कलक्टर को विशेष शिविरों के आयोजन कर मोबाइल वितरण के लिए पत्र भेजा गया है।


पात्र प्रत्येक पंचायत समिति में दो जगह शिविर आयोजित कर मोबाइल बांटे जाएंगे। जिन भामाशाह कार्ड धारकों के पास मोबाइल नहीं है, उन्हें रिलायंस जियो के 'जियो भामाशाह प्रोग्राम' के तहत मोबाइल दिए जाएंगे। पूरे प्रदेश में यह शिविर 30 सितम्बर तक आयोजित करने का लक्ष्य दिया गया है। सरकार की ओर से पांच हजार ग्राम पंचायतों को वाई-फाई की सुविधा प्रदान की जा रही है।


इनको देंगे मोबाइल
भामाशाह डेटा बेस के जिन परिवारों के किसी भी सदस्य के साथ मोबाइल नम्बर नहीं है अथवा परिवार में केवल एक ही मोबाइल फोन है। उन्हें मोबाइल दिए जाएंगे। इसकी सूची भी तैयार हो गई है।


घर बैठे ले सकेंगे जानकारी
सरकार का कहना है कि डिजिटल राजस्थान के विजन के तहत भामाशाह योजना के तहत इलेक्ट्रोनिक सर्विस डिलीवर प्लेटफार्म तैयार किया जा रहा है। आमजन के लिए सरकारी सेवाओं का लाभ घर बैठे मोबाइल से प्राप्त करने के लिए सरकारी योजनाओं, सेवाओं के मोबाइल एेप भी तैयार किए जा रहे हैं। इसलिए मोबाइल दिए जाएंगे।


... और इधर, केन्द्र की योजना पर भारी पड़ रही भामाशाह योजना
पहले से भामाशाह स्वास्थ्य बीमा योजना (बीएसबीवाय) का संचालन कर रहे राजस्थान के लिए केंद्र की आयुष्मान भारत योजना के लाभार्थियों का चयन करना मुश्किल भरा हो गया है। इस समय प्रदेश में बीएसबीवाय के लाभार्थी परिवार करीब 90 लाख है, जिसके दायरे में करीब 4.5 करोड़ लोग आ रहे हैं। इसमें रोजाना करीब 5 हजार मरीजों को भर्ती कर कैशलैस उपचार किया जा रहा है। अब केंद्र की योजना के लिए बीएसबीवाय से अतिरिक्त वंचितों का चयन करने का उचित फॉर्मूला तलाशा जा रहा है।


हालांकि केंद्र ने वर्ष 2011 मे किए गए सोशियो इकोनॉमी कास्ट सेंसस को आधार बनाया है। इसमें राजस्थान के करीब 59 लाख परिवार शामिल हैं। लेकिन उस सेंसस में शामिल परिवारों के डाटा काफी अधूरे हैं।

राजस्थान में अगले कुछ माह में ही पहले विधानसभा, फिर लोकसभा व निकायों के चुनाव होने हैं। इनसे पहले सेंसस के आधार पर लोगों का चयन किया जाता तो किसी को योजना के दायरे से बाहर रखे जाने पर संकट हो सकता है। योजना में शामिल होने के लिए आई सिफारिशों और किसी को बाहर रखने पर आक्रोश का सामना भी सरकार को करना पड़ सकता है।