
सत्यार्थ प्रकाश महोत्सव केवल उदयपुर में मनाया जाता है। अन्य स्थानों पर केवल सम्मेलन होते हैं। इसलिए कि महर्षि दयानन्द सरस्वती ने सत्यार्थ प्रकाश की रचना यहां गुलाबबाग स्थित नवलखा महल में की थी। श्रीमद् दयानन्द सत्यार्थ प्रकाश न्यास की ओर से नवलखा महल में 18वां सत्यार्थ प्रकाश महोत्सव शनिवार सुबह यज्ञ के साथ शुरू हुआ। तीन दिवसीय इस महोत्सव में शामिल होने देशभर से लगभग एक हजार अनुयायी उदयपुर आए हैं। महोत्सव के पहले दिन सुबह सीताबाड़ी से आए ब्रह्म आचार्य वेदप्रिय शास्त्री ने यज्ञ कराया। आर्य कन्या गुरुकुल शिवगंज की प्राचार्य डॉ. सूर्या आर्य एवं ब्रह्मचारिणी स्नेहा आर्य ने मंत्र पाठ किया। सुमेरपुर के भजनोपदेशक केशवदेव ने भजन गाए। इसके बाद प्रवचन में आचार्य वेदप्रिय शास्त्री ने कहा कि विधिवत वैदिक शिक्षा के प्रचार-प्रसार के लिए श्रद्धा सबसे महत्वपूर्ण है। उन्होंने यज्ञ का महत्व भी बताया। शांति पाठ के साथ प्रथम सत्र का समापन हुआ। सुबह 9 बजे शुरू हुए द्वितीय सत्र में अजमेर से आईं साध्वी उत्तमा यति ने आेम पताका फहराई। इन्द्रदेव पीयूष ने ध्वज गीत गाया। सुबह 10 बजे तृतीय सत्र में दयानन्द विद्यापीठ आबूरोड से आए स्वामी शारदानन्द सरस्वती, अजमेर के पूर्व सांसद रासासिंह रावत, डॉ. सूर्या आर्य, नई दिल्ली से आए वेद प्रकाश श्रोत्रिय, लक्ष्यराजसिंह मेवाड़, कोलकाता के भजनोपदेशक कैलाश कर्मठ के सान्निध्य में वेद सम्मेलन हुआ। इससे पूर्व दयानन्द कन्या विद्यालय सेक्टर-4 की बालिकाओं ने स्वागत गीत गाया।
जारी रहेगी पूर्वजों की परम्परा : लक्ष्यराज
कार्यक्रम में लक्ष्यराजसिंह मेवाड़ ने पूर्वजों की परम्परा जारी रखने का विश्वास दिलाते हुए कहा कि न्यास को सदैव हरसंभव मदद दी जाएगी। कार्यक्रम में महिलाओं की अधिक उपस्थिति पर उन्होंने कहा कि आज महिलाएं पुरुषों से कहीं आगे हैं।
लघु नाटिका से अंधविश्वास पर प्रहार : न्यास के कार्यकारी अध्यक्ष अशोक आर्य ने बताया कि शनिवार को वेद सम्मेलन के दौरान 'भारत के मूल विषय वेदÓ पर मंथन हुआ। इसमें बताया गया कि वेद ईश्वरीय ज्ञान है। सृष्टि परमात्मा ने बनाई है और इसमें रहने के लिए कुछ नियम निर्धारित किए हैं। इसी के अनुरूप मानव को व्यवहार करना चाहिए। महोत्सव के तहत महर्षि दयानंद विद्यालय फतहनगर एवं डीएवी पब्लिक स्कूल के बच्चों ने लघु नाटिकाओं के माध्यम से अंध विश्वास पर प्रहार किया।
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