26 दिसंबर 2025,

शुक्रवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

जयपुर चिडि़याघर में विष्णु अवतार ‘Golden Turtle’

वल्र्ड संगठन ने रेस्क्यू किया गोल्डन कछुआजयपुर चिडिय़ाघर को किया सुपुर्दअब तक पूरी दुनिया में सातवीं बार देखा गया है ऐसा कछुआचाकसू से काठवाला से किया गया रेस्क्यू

2 min read
Google source verification

जयपुर

image

Rakhi Hajela

Oct 22, 2020

golden_turtle_thumb.jpg

पूरी दुनिया में बेहद दुर्लभ माना जाने वाला गोल्डन कछुआ (Golden Turtle) अब राजधानी जयपुर में चिडि़याघर (Zoo) में नजर आया है। चिडि़याघर प्रशासन को इसे सुपुर्द किया है पूर्व मानद वन्यजीव प्रतिपालक, वाइल्ड लाइफ क्राइम कंट्रोल ब्यूरो के मनीष सक्सेना ने।
कछुए को चाकसू के काठावाला तालाब से रेस्क्यू किया गया है। जानकारी के मुताबिक World संगठन की हेल्पलाइन पर पशुपालन विभाग (Animal HUsbandry) के अतिरिक्त निदेशक डॉ. प्रकाश भाटी ने चाकसू के काठावाला तालाब के पास एक खेत में कछुआ (Turtle) होने की सूचना दी जिसे अन्य पशुओं से खतरा हो सकता था। सूचना पर त्वरित कार्रवाई करते हुए इसे रेस्क्यू करने के प्रयास किए गए जिसमें वन्यजीव प्रेमी विष्णु जाट का खास सहयोग रहा। कछुए को रेस्क्यू कर इसे जयपुर चिडि़याघर (Jaipur Zoo) के उप वन्यजीव संरक्षक उपकार बोरोना को सुपुर्द कर दिया गया है।
सातवीं बार देखा गया है कछुआ
आपको बता दें कि इससे पूर्व एेसे कछुए को उड़ीसा और नेपाल में देखा गया था। विशेषज्ञों के मुताबिक विश्व में सातवीं बार देखा गया है। आपको बता दें कि नेपाल में भी दो माह पूर्व एेसा कछुआ मिला था। वहां यह कछुआ धनुषा जिले के धनुषाधम में मिला था। वहां लोग मान रहे थे कि भगवान विष्णु ने धरती को बचाने के लिए कछुए के रूप में अवतार लिया है। नेपाल से पूर्व भारत में ओडिशा के बालासोर में भी लोगों से एेसा दुर्लभ कछुआ देखा था। इस तरह का एक और कछुआ कुछ साल पहले सिंध में पाया गया था।

जेनेटिक म्यूटेशन से बदलता है रंग
आपको यह भी बता दें कि इस कछुए को एल्बीनो टर्टल भी कहा जाता है। भारतीय ब्लैक शेल टर्टल प्रजाति का यह कछुआ साफ पानी का कछुआ है, जो साफ पानी की नदियों और तालाब में रहता है। कछुए के इस दुर्लभ रंग बदलने की वजह जेनेटिक म्यूटेशन है। इसके कारण स्किन को रंग देने वाला पिगमेंट बदल गया है। नतीजा, यह सुनहरा दिखाई दे रहा है। आपको बता दें कि कछुए में क्रोमैटिक ल्यूसिज़्म का यह दुनियाभर का केवल सातवां मामला है।क्रोमैटिक ल्यूसिज़्म उस स्थिति को कहते हैं, जब शरीर को रंग देने वाला तत्व ही बिगड़ जाता है। ऐसी स्थिति में स्किन सफेद, हल्की पीली या इस पर चकत्ते पड़ जाते हैं। चाकसू से रेस्क्यू किए गए कछुए में पीला रंग अत्यधिक बढ़ गया है, इसलिए यह सुनहरा दिख रहा है।

नेपाल में धार्मिक मान्यता भी
आपको यह भी बता दें कि इस कछुए को लेकर नेपाल में धार्मिक मान्यताएं भी हैं। ऐसा माना जाता है कि भगवान विष्णु ने ब्रह्मांड को विनाश से बचाने के लिए कछुए का रूप लिया था। हिन्दु मान्यताओं के मुताबिक, कछुए के ऊपरी हिस्से को आकाश और निचले हिस्से को धरती माना जाता है।

इनका कहना है,
हमारे पास World की हेल्पलाइन (Helpline) पर सूचना आई थी कि चाकसू में गोल्डन कलर का कछुआ देखा गया है। हमने त्वरित कार्रवाई करते हुए उसे रेस्क्यू किया और जयपुर चिडि़याघर के उप वन्यजीव संरक्षक उपकार बोरोना को कछुए को सुपुर्द किया। इस प्रकार का कछुआ दुनिया में सातवीं बार देखा गया है। यह साफ पानी का कछुआ है।नेपाल में इसे लेकर काफी धार्मिक मान्यता भी हैं।
मनीष सक्सेना
सदस्य, वाइल्ड लाइफ क्राइम कंट्रोल ब्यूरो