क्षेत्र के मतदाताओं का मूड जानने के लिए मैं दौसा शहर के हृदय स्थल गांधी तिराहे पर पहुंचा। यहां मिले युवा अभिषेक शर्मा ने बताया कि बड़ा मुद्दा रोजगार व अच्छे शिक्षण संस्थाओं की जरूरत का है। इस पर बात नहीं हो रही है। नेता तो एक-दूसरे पर छींटाकशी करने में लगे हुए हैं। नला मोहल्ले में पहुंचा तो महिलाएं टैंकर से पानी भरते नजर आईं। महिलाओं ने बताया कि 20 साल से चुनाव देख रहे हैं। हर कोई नेता और राजनीतिक दल पानी की समस्या के समाधान का वादा करते हैं, लेकिन बाद में भूल जाते हैं। हालांकि अधिकांश मतदाता मौन दिखे।
निर्णायक जातियों की बढ़ी पूछ दौसा सामान्य सीट पर भाजपा ने एसटी और कांग्रेस ने एससी वर्ग से प्रत्याशी उतारे हैं। ऐसे में सामान्य व ओबीसी मतदाता निर्णायक बन गए हैं। सैंथल में मिले रामप्रकाश शर्मा, शंकर गुर्जर से बातचीत में दोनों दलों की ओर से सामान्य वर्ग को टिकट नहीं देने को लेकर टीस नजर आई।
क्षत्रपों ने लगाया जोर प्रचार के लिए भाजपा की ओर से मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा की सभा हुई है। इसके साथ ही जातीय समीकरणों को साधने के लिए किरोड़ीलाल मीना, जवाहरसिंह बेढम, मदन दिलावर, राजेन्द्रसिंह राठौड़, प्रभुलाल सैनी सहित कई नेता सक्रिय हैं। वहीं, कांग्रेस की ओर से अशोक गहलोत, सचिन पायलट और गोविंद डोटासरा ने सभाएं की हैं। इसके अलावा सांसद मुरारीलाल मीना सहित स्थानीय नेता कमान संभाल रहे हैं।
राजनीतिक समीकरण दौसा सीट पर एसटी-एससी मतदाता सर्वाधिक हैं। कांग्रेस यहां से लगातार तीन बार से एसटी उम्मीदवार उतारती आ रही थी, लेकिन इस बार भाजपा ने एसटी वर्ग से जगमोहन मीना को टिकट दे दिया। ऐसे में कांग्रेस ने एससी वर्ग पर दांव खेलते हुए दीनदयाल बैरवा को मैदान में उतारा है। भाजपा की बदली रणनीति से एसटी मतदाताओं के कांग्रेस से छिटकने की आशंका है, लेकिन कोर वोट बैंक सामान्य वर्ग में नाराजगी है। ऐसे में दोनों ही दलों ने सामान्य वर्ग को पक्ष में करने के लिए ताकत लगा रखी है। इसके अलावा गुर्जर, माली, वैश्य, राजपूत सहित अन्य जातियों को भी रिझाया जा रहा है।
कुणकीं बोळा, दोन्यू ही म्हाकां छ: लवाण क्षेत्र में मिले बुजुर्ग हरिनारायण मीना, नानगराम बैरवा, रामसहाय आदि ने बताया कि ‘कुणकीं बोळा, दोन्यू ही म्हाकां छ: पहल्या कांग्रेस ने जिताया छा:अबकै भाजपा में डॉक्टर किरोड़ी का भाई के उतरबा सूं असमंजस छ:, सारा नेता गांव में आ रह्या छ:, स्वागत सबको कर रह्या छा:, बोट कुणकूंदयाग्या लास्ट टैम सोचांगा’। बुजुर्गों की बात से स्पष्ट था कि मतदाता इस बार मौन हैं।