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राजधानी में जलदाय विभाग ही पिला रहा है दूषित पानी, बिना क्लोरीनेशन के ही टयूबवैल से पेयजल आपूर्ति

जलदाय विभाग ही पिला रहा है दूषित पानीपानी का प्रेशर बढ़ाने के लिए शहर में खोदे थे 350 से ज्यादा टयूबवैललेकिन अधिकांश में नहीं आॅनलाइन क्लोरीनेशन की व्यवस्थाबिना क्लोरीनेशन के ही घरों में सप्लाई हो रहा है पानी

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बोरवेल की अनुमति में ऐसे चल रही धांधली

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जयपुर।
शहर में स्वच्छ पेयजल की आपूर्ति करने की जिम्मेदारी जलदाय विभाग की है। लेकिन यही जलदाय विभाग लोगों के घरों में दूषित यानि बेक्टीरिया युक्त पानी सप्लाई करे तो क्या कहा जाए। जलदाय अफसरों ने शहर के कई इलाकों में पानी का प्रेशर बढ़ाने के लिए टयूबैवल खोद कर सीधे पेयजल सप्लाई लाइन से जोड़ दिया गया है। लेकिन इन टयूबवैल पर आॅनलाइन क्लोरीनेशन जैसी कोई व्यवस्था नहीं की गई है। ऐसे में अब विभाग के अधिकारी ही कह रहे हैं कि इस स्थिति में टयूबवैल के पानी मे बेक्टीरिया आसानी से पनप सकते हैं और लोगों को जल जनित बीमारियों से पीड़ित कर सकते हैं। जबकि पहले खोदे गए सभी टयूबवैल में आॅनलाइन क्लोरीनेशन की व्यवस्था है और पानी में किसी भी तरह के बेक्टीरिया के होने की संभावना न के बराबर होती है।
350 से ज्यादा खोदे थे टयूबवैल,अधिकांश बिना क्लोरीनेशन के
शहर में भीषण गर्मी का दौर चला तो विभाग की ओर से पेयजल सप्लाई के लिए कंटीजेंसी प्लान बनाया गया। इस प्लान के तहत 350 से ज्यादा टयूबवैल उन इलाकों में खोदे गए जहां अंतिम छोर पर पानी का प्रेशर कम था। इन टयूबवैल को सीधे ही सप्लाई लाइन में जोड दिया गया। जबकि पुराने खुदे हुए टयूबवैल की तरह इन सभी टयूबवैल में भी आॅनलाइन क्लोरीनेशन की व्यस्था होनी थी जिससे लोगों की सेहत को भी सुरक्षित रखा जा सके।
महज 30 से 35 हजार के लिए लोगों की सेहत से खिलवाड
जलदाय अफसरों की माने तो आॅललाइन क्लोरीनेशन में कोई बड़ा खर्चा नहीं आता है। महज 30 से 35 हजार में यह व्यवस्था हो जाती है। अब चिंता की बात वहां ज्यादा है जहां टयूबवैल किसी नाले के पास खोदे गए। क्योंकि वहां टयूबवैल के पानी में बेक्टीरिया आने की संभावना ज्यादा हो सकती है।
नहीं आता पीने के काम
जलदाय विभाग के अफसरों ने का तर्क है कि टयूबवैल का पानी पीने के काम नहीं आता है। क्योंकि अधिकांश शहर में बीसलपुर से पेयजल की सप्लाई है। इस पानी को बर्तन साफ करने और कपड़े धोने में काम में लिया जाता है।
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वर्जन
प्रेशर बढ़ाने के लिए टयूबवैल खोदे गए थे ,लेकिन चिंता की बात इसलिए नहीं है क्योंकि टयूबवैल का पानी भी बीसलपुर से सप्लाई होने वाले पानी में ही मिलता है। बीसलपुर का पानी पूरी तरह से क्लेरीनेट होता है। पहले खोदे गए टयूबवैल में आॅनलाइन क्लोरीनेशन की व्यवस्व्था है।
देवराज सोलंकी,अतिरिक्त मुख्य अभियंता
जयपुर रीजन द्यितीय