
जयपुर. सुप्रीम कोर्ट ने प्रकृति संरक्षण के लिए प्रदेश के पिपलांत्री गांव में बेटी के जन्म पर 111 पौधे लगाने की पहल की सराहना की। साथ ही, राजस्थान में ओरण, देव वनों और पवित्र उपवनों की पहचान, सर्वेक्षण और नोटिफाई करने का आदेश दिया, ताकि इन्हें वन संरक्षण अधिनियम 1980 के तहत संरक्षित घोषित किया जा सके।
कोर्ट ने पर्यावरण, वन व जलवायु परिवर्तन मंत्रालय और राजस्थान सरकार से कहा कि ओरण भूमि के संबंध में दिए गए निर्देशों की पालना के लिए हाईकोर्ट के पूर्व न्यायाधीश की अध्यक्षता में पांच सदस्यीय समिति गठित की जाए, जिसमें वन विभाग का वरिष्ठ अधिकारी व विषय विशेषज्ञ भी शामिल हों।
न्यायाधीश बीआर गवई, न्यायाधीश एसवीएन भट्टी और न्यायाधीश संदीप मेहता की पीठ ने यह आदेश दिया। कोर्ट ने इस मामले में पिपलांत्री गांव के श्याम सुंदर पालीवाल की पहल की सराहना करते हुए कहा कि इससे न केवल गांव बल्कि आस-पास के इलाकों में भी पर्यावरण को होने वाले नुकसान को कम किया, वहीं इससे महिलाओं के खिलाफ सामाजिक पूर्वाग्रहों व कन्या भ्रूण हत्या को कम करने का भी प्रयास हुआ।
इससे 40 लाख से अधिक पेड़ लगे, जिससे भूजल स्तर लगभग 800-900 फीट ऊपर आ गया और तापमान में 3-4 डिग्री की कमी आई। इन प्रयासों ने मिट्टी के कटाव के साथ ही रेगिस्तानीकरण को भी रोका। गांव बेटी के जन्म पर नाखुशी जताने के बजाय जश्न मनाता है। कोर्ट ने इसके साथ ही कहा कि अदालती आदेशों से ऐसी भूमियों को अधिसूचित करना शुरू किया, लेकिन यह पर्याप्त नहीं है।
वन विभाग ओरण, देव वनों और पवित्र उपवनों की विस्तृत ऑन-ग्राउंड और सैटेलाइट मैपिंग करे। सभी जिलों में सर्वेक्षण और अधिसूचना की प्रक्रिया पूरी की जाए। सुनवाई के दौरान राजस्थान सरकार की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता शिवमंगल शर्मा ने कहा कि राज्य सरकार पवित्र उपवनों की सीमांकन प्रक्रिया और उन्हें संरक्षित करने के लिए कानूनी कदम उठा रही है।
सुप्रीम कोर्ट के निर्देश
- ओरण, देव वन और रूंध जैसे पवित्र उपवनों का सर्वेक्षण कर उन्हें नोटिफाई किया जाए। इनकी सैटेलाइट मैपिंग की जाए।
-इनके विकास में ऐसे स्थानीय समुदायों की भागीदारी सुनिश्चित की जाए, जो ऐतिहासिक रूप से इनकी रक्षा करते आए हैं।
- पवित्र उपवनों को वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 के तहत संरक्षित क्षेत्र घोषित किया जाए।
- केंद्रीय अधिकार प्राप्त समिति की सिफारिशों का पालन किया जाए।
- पांच सदस्यीय विशेषज्ञ समिति का गठन किया जाए।
- राजस्थान सरकार को इन निर्देशों के क्रियान्वयन की पालना रिपोर्ट 10 जनवरी, 2025 तक सुप्रीम कोर्ट में पेश करे।
Updated on:
19 Dec 2024 06:10 pm
Published on:
19 Dec 2024 05:57 pm
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