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Weather Update : …सूरज की गर्मी से जल रहा हिंदुस्तान, अभी और सताएगी गर्मी

locationजयपुरPublished: Apr 26, 2022 05:07:42 pm

Submitted by:

Anand Mani Tripathi

पेड़ों की कमी कहें या फिर पर्यावरण में परिवर्तन। सूरज की भीषण गर्मी से हिंदुस्तान का जर्रा जर्रा तप रहा है। फिर चाहे वह राजस्थान का थार हो या फिर गोवा का तट। जम्मू-कश्मीर और उत्तराखंड की पहाड़ियां हों या फिर मध्यप्रदेश का मैदान। तपीश में सब झुलस रहे हैं। सबसे ज्यादा आग राजस्थान और मध्यप्रदेश में लगी हुई है।

पेड़ों की कमी कहें या फिर पर्यावरण में परिवर्तन। सूरज की भीषण गर्मी से हिंदुस्तान का जर्रा जर्रा तप रहा है। फिर चाहे वह राजस्थान का थार हो या फिर गोवा का तट। जम्मू-कश्मीर और उत्तराखंड की पहाड़ियां हों या फिर मध्यप्रदेश का मैदान। तपीश में सब झुलस रहे हैं। सबसे ज्यादा आग राजस्थान और मध्यप्रदेश में लगी हुई है। गर्मी यहां अपना चरम पार कर रही है। भारत मौसम विज्ञान विभाग के आंकड़ों का डाउन टू अर्थ ने विश्लेषण किया है। इस साल शुरुआती हीट वेव यानी भीषण गर्मी 11 मार्च को शुरू हुई थी। इसने 15 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को प्रभावित किया है। राजस्थान और मध्य प्रदेश सबसे अधिक प्रभावित हुए हैं। इस दौरान इन राज्यों में हीट वेव के 25 दिन (भीषण गर्मी की लहर / लू) सबसे बुरे रहे।
क्या होता है हीटवेब

भारतीय मौसम विभाग के मुताबिक हीट वेव तब होता है, जब किसी जगह का तापमान मैदानी इलाकों में 40 डिग्री सेल्सियस तटीय क्षेत्रों में 37 डिग्री सेल्सियस और पहाड़ी क्षेत्रों में 30 डिग्री सेल्सियस को पार कर जाता है। किसी ख़ास दिन किसी एक जगह पर उस क्षेत्र के सामान्य तापमान से 4.5 से 6.4 डिग्री सेल्सियस अधिक तापमान दर्ज होता है तो मौसम विभाग उसे हीट वेव कहती है। यह तापमान सामान्य से 6.4 डिग्री सेल्सियस अधिक है, तो इसे ‘गंभीर’ हीट वेव घोषित करता है।
45 डिग्री से तापमान अधिक तो हीट वेब

भारतीय मौसम विभाग हीट वेव घोषित करने के लिए एक अन्य मानदंड का भी उपयोग करता है। यह पूर्ण रूप से दर्ज तापमान पर आधारित होता है। किसी भी क्षेत्र में अगर तापमान 45 डिग्री सेल्सियस को पार कर जाता है। तो वहां हीट वेव घोषित किया जाता है और जब यह 47 डिग्री को पार करता है, तो ‘गंभीर’ हीट वेव की घोषणा की जाती है।
इस बार राजस्थान और मध्यप्रदेश में तपिश ज्यादा

राजस्थान और मध्य प्रदेश के बाद, हिमाचल प्रदेश जैसा पर्वतीय राज्य इस वर्ष हीट वेव से सबसे अधिक प्रभावित हुआ है। यहां हीट वेव और गंभीर हीट वेव के 21 दिन दर्ज किए गए। मौसम एजेंसी ने आधिकारिक तौर पर ओडिशा के लिए केवल एक हीट वेव दिवस घोषित किया है। इंस्टीट्यूट फॉर क्लाइमेट चेंज स्टडीज के डी शिवानंद पाई का कहना है कि मार्च में राजस्थान के पश्चिमी हिस्सों में एंटी-साइक्लोन और बारिश वाले पश्चिमी विक्षोभ की अनुपस्थिति शुरुआती हीटवेव के कारण रहे। वायुमंडल में उच्च दबाव प्रणाली के आसपास तापमान बढाने वाली हवाओं के होने से, एंटी-साइक्लोन गर्म और शुष्क मौसम का कारण बनते हैं।
सबसे ज्यादा तप रहा राजस्थान और मध्यप्रदेश

राजस्थान 25
मध्य प्रदेश 25
हिमाचल प्रदेश 21
गुजरात 19
जम्मू और कश्मीर 16
हरियाणा 15
दिल्ली एनसीआर 15
उत्तर प्रदेश 11
झारखंड 11
पंजाब 7
महाराष्ट्र 6
उत्तराखंड 4
बिहार 2
गोवा 2
ओडिशा 1

…तो इसलिए बढ़ा हीटवेब
मैरीलैंड यूनिवर्सिटी के एक क्लाइमेट साइंटिस्ट रघु मुर्तुगुड्डे बताते हैं कि पूर्वी और मध्य प्रशांत महासागर में ला नीना से जुड़ा एक नार्थ-साउथ प्रेशर पैटर्न, जो भारत में सर्दियों के दौरान होता है, उम्मीद से अधिक समय तक बना रहा। इसने तेजी से गर्म हो रहे आर्कटिक क्षेत्र से आने वाली गर्म लहरों के साथ मिल कर हीट वेव का निर्माण किया। पूर्वी और मध्य प्रशांत महासागर में समुद्र की सतह का तापमान ला नीना के दौरान औसत से अधिक ठंडा हो जाता है। यह हवा के दबाव में परिवर्तन के माध्यम से समुद्र की सतह पर बहने वाली व्यापारिक हवाओं को प्रभावित करता है। ये व्यापारिक हवाएं इस मौसम की गड़बड़ी को अपने साथ ढो कर ले जाती है और दुनिया के बड़े हिस्से को प्रभावित करती हैं। भारत में, यह घटना ज्यादातर नम सर्दियों से जुड़ी है। इसलिए, भारत में वसंत और गर्मी के दौरान ला नीना का वर्तमान प्रभाव पूरी तरह से अप्रत्याशित है। मुर्तुगुड्डे कहते हैं कि हीट वेव जून में मानसून के शुरू होने तक जारी रह सकती हैं।

…तो 4 डिग्री तो गर्म हो जाएगी पृथ्वी

छठी मूल्यांकन रिपोर्ट की पहली किस्त में आईपीसीसी ने जोर देकर कहा कि 1850-1900 के पूर्व-औद्योगिक अवधि की तुलना में, पृथ्वी की वैश्विक सतह का तापमान 1.09 डिग्री सेल्सियस अधिक गर्म हो गया है। मानव हस्तक्षेप इस स्थिति का मुख्य कारण है। जलवायु मॉडल और विश्लेषण में सुधार ने वैज्ञानिकों को वर्षा,तापमान और अन्य कारकों के रिकॉर्ड देखकर जलवायु परिवर्तन पर मानव प्रभाव की पहचान करने में सक्षम बनाया है। हर अतिरिक्त 0.5 डिग्री सेल्सियस अत्यधिक वर्षा और सूखे के साथ-साथ गर्म मौसम को बढ़ाएगी। कार्बन उत्सर्जन अधिक रहता है तो भारत में हीट वेव्स के 2036-2065 तक 25 गुना अधिक समय तक रहने की संभावना है। यह सदी के अंत तक वैश्विक तापमान में 4 डिग्री सेल्सियस की वृद्धि करेगा।

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