
जयपुर। आज भारतवर्ष 75वां गणतंत्र दिवस मना रहा है। इस मौके पर मुख्य कार्यक्रम राजधानी दिल्ली में आयोजित की जाती है जहां, प्रत्येक वर्ष परंपरागत तौर पर परेड के माध्यम से देश की समृद्ध सांस्कृतिक विविधता व सैन्य शक्तियों का प्रदर्शन किया जाता है। इस कार्यक्रम में विशेष अतिथि सहित, देश के राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री व कैबिनेट मंत्री उपस्थित होकर कार्यक्रम की गरिमा बढ़ाते हैं। इस दौरान राष्ट्रपति भवन से देश के महामहिम का विशेष काफिला कार्यक्रम स्थल तक उनका अगुवाई करता है, जिसके बाद 21 तोपों की सलामी दी जाती है और कार्यक्रम आधिकारिक रूप से शुरू हो जाता है। महामहिम का आधिकारिक आवस 'राष्ट्रपति भवन' होता है, जिसके प्रांगण व इमारत का देशवासी दीदार कर सकते हैं। इसी प्रांगण में स्थापित है ‘जयपुर कॉलम’ जिसका राजस्थान से विशेष संबंध है।
जयपुर स्तंभ की विशेषताएं व इतिहास
जयपुर स्तंभ राष्ट्रपति भवन प्रांगण में 145 फीट की ऊंचाई पर, मुख्य द्वार से लगभग 555 फीट की दूरी पर स्थित है। इसका डिज़ाइन अंग्रेजी आर्किटेक्ट सर एडविन लुटियंस द्वारा किया गया जबकि जयपुर के महाराजा माधो सिंह ने इसके आर्थिक राशि का वहन किया। बताया जाता है कि इसका निर्माण राजधानी को कलकत्ता से दिल्ली में स्थानांतरित करने और ब्रिटिश क्राउन के प्रति जयपुर रियासत की निष्ठा के प्रतीक के रूप में किया गया था।
जयपुर स्तंभ बलुआ पत्थर से बना है, जिसमें कई कलाकृतियां उकेरी गईं हैं। इसके शीर्ष पर पांच टन का कांस्य कमल है, जिसमें से भारत का छह-कोणीय सितारा निकलता है, जो कांच से बना है। इसके साथ शाही चील की आकृति बनी है, जो स्तंभ के आधार पर चारों कोनों को सुशोभित करता है। स्तंभ के अंदर एक स्टील ट्यूब चलती है, जो कमल और सितारे को नींव के एक ब्लॉक से बांधती है। स्तंभ के तीन किनारों से होकर गुजरने वाले शिलालेख में शब्दों को भी आलेखित किया गया है, जिसमें लिखा है, "विचार में विश्वास, शब्द में ज्ञान, कर्म में साहस, जीवन में सेवा, तो भारत महान हो सकता है।"
प्रत्येक शनिवार को 'जयपुर कॉलम' के सामने चेंज ऑफ गार्ड समारोह
प्रत्येक शनिवार को फोरकोर्ट में जयपुर कॉलम के सामने चेंज ऑफ गार्ड समारोह होता है। यह एक पारंपरिक सैन्य अभ्यास है जिसमें पुराने गार्ड ड्यूटी बदलते हैं और नए गार्ड उनकी जगह लेते हैं। हर सप्ताह एक नई टुकड़ी को गार्ड की जिम्मेदारी सौंपी जाती है। भारतीय सेना की सबसे वरिष्ठ रेजिमेंट, राष्ट्रपति के अंगरक्षक (पीबीजी), जिन्हें भारत के राष्ट्रपति के औपचारिक कर्तव्यों के साथ सौंपा गया है, तलवार और लांसर के साथ अपनी पारंपरिक पोशाक में परेड का हिस्सा बनते हैं, यह दृश्य हरएक भारतवासी को गर्व का एहसास दिलाता है। राष्ट्रपति की पहल पर वर्ष 2012 में यह समारोह आमलोगों के लिए खोला गया, जो वर्तमान में भी जारी है।
Published on:
26 Jan 2024 12:13 pm
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