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आखिर, किसके आदेश से टूटे मंदिर? 

शहर में मेट्रो और सड़क विकास को लेकर मंदिर तोडऩे के मामले में चक्काजाम के बाद मामले में दोषियों को चिन्हित करने पर खींचतान हो रही है। 

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Manish Sharma

Jul 10, 2015

शहर में मेट्रो और सड़क विकास को लेकर मंदिर तोडऩे के मामले में चक्काजाम के बाद मामले में दोषियों को चिन्हित करने पर खींचतान हो रही है। सरकार फील्ड में सक्रिय लोगों को कार्रवाई के लिए जिम्मेदार मान रही है। वहीं मंदिर बचाओ समिति के लोग आदेश देने वाले और निष्क्रिय रहे सभी सक्षम स्तरों पर कार्रवाई चाहते हैं।

सूत्रों की मानें तो अगले दो-तीन दिन में सरकार स्थानीय प्रशासन, जेडीए और मेट्रो में लगे अधिकारियों पर कार्रवाई का मानस बना चुकी है। सरकार के विरोध में हुए चक्काजाम में भाजपा विधायकों, पार्षदों, कार्यकर्ताओं के शामिल होने से पार्टी की उलझन भी बढ़ गई है। अब इन्हें लेकर प्रदेश नेतृत्व उलझन में है।

सर्किलों पर दखल तो मंदिरों पर चुप्पी क्यों?
मंदिर तोड़ जाने के मसले पर मंत्रिमंडल में शहर का प्रतिनिधित्व कर रहे मंत्रियों के रवैये को लेकर संघ में खासा रोष का वातावरण है। खासतौर पर इस कार्रवाई को अंजाम देने वाले विभागों का जिम्मा संभालने वाले नगरीय विकास मंत्री राजपाल सिंह शेखावत को लेकर ज्यादा चर्चा हो रही है।

संघ की दलील है कि सर्किलों को लेकर कार्रवाई के दौरान भी तो दखल से कार्रवाई रुकी थी। ऐसा यहां भी हो सकता था। अन्य मंत्रियों की चुप्पी भी घेरे में है। हालांकि मंत्रियों के बचाव में प्रदेश भाजपा सक्रिय है। प्रदेशाध्यक्ष अशोक परनामी विभाग के मंत्री के बचाव में उतरे हुए हैं।

हमने आठ सूत्री मांगों से मीडिया के जरिए सरकार को अवगत करवाया है। जो भी दोषी है जिसके आदेश से मंदिर टूटे उस पर कार्रवाई हो।
बद्रीनारायण चौधरी, संयोजक मंदिर बचाओ समिति