गौरतलब है कि राजधानी में अनलॉक 1 शुरू होने के साथ ही परिवहन सेवा में छूट दी गई थी। रोडवेज और शहर से बाहर जाने वाली बसों का संचालन शुरू किया गया था। वहीं, शहर में कैब, टैक्सी, ऑटो और ई-रिक्शा संचालन की छूट दी थी। साथ ही ऑटो में एक और कैब में दो लोगों को ही बैठाने की अनुमति दी गई थी।
लो-फ्लोर बसें भी अटक रही
जेसीटीएसएल की 200 लो-फ्लोर बसें भी शहरी सार्वजनिक परिवहन सेवा का हिस्सा हैं। लंबाई में मिनी बस के मुकाबले बड़ी होने व प्रवेश-निकास के लिए दो गेट होने के कारण इनमें सोशल डिस्टेेसिंग की पालना हो सकती है। तीन महीने से अधिक समय से लो-फ्लोर बसों के बंद होने से जेसीटीएसएल को 10 करोड़ से अधिक का नुकसान हो चुका है तथा कर्मचारियों को वेतन भी नहीं मिल पा रहा है।
हालात: मनमाना किराया देने की मजबूरी
शहर में सिटी बसों के बंद रहने से आसपास के ग्रामीण इलाकों से कामकाज के सिलसिले में आने वाले लोगों के साथ ही दफ्तर, अस्पताल और बाजार जाने वाले लोगों को ऑटो-कैब में अधिक पैसा देकर यात्रा करनी पड़ रही है। कैब और ऑटो चालक करीब 30 से 50 फीसदी अधिक किराया ले रहे हैं। राजधानी में 20 हजार ऑटो और 15 हजार कैब कार का संचालन किया जा रहा है।
सरकार की गाइडलाइन में सिटी बसों को बंद रखने के निर्देश जारी किए हैं। आगामी आदेशों तक इनका संचालन नहीं होगा।
नरेन्द्र गुप्ता, एमडी जेसीटीएसएल
हम सोशल डिस्टेसिंग की पालना के साथ ही बसों को सेनेटाइज कर कम यात्रियों के साथ संचालन के लिए तैयार हैं। बसों के चालक-परिचालक चार महीने से बेरोजगार हैं।
प्रशांत मील, केन्द्रीय सिटी मिनी बस एसोसिएशन, जयपुर