
कहते हैं जिस समाज की महिलाएं जागरुक हो जाती हैं और अपने अधिकारों के लिए किसी भी कुप्रथा से लड़ने की ठान लेते है तो उन्हें रोकना आसान नहीं रहता है। ऐसा ही एक मामला यहां राजस्थान के कोटा जिले में दिखने को मिला है। जहां उम्मेदगंज गांव की महिलाओं ने शौचालय बनाने के लिए एक बड़ा कदम उठाया है, तो वहीं उनके इस फैसले से पूरा समाज स्तब्ध है।
दरअसल, अपने हित को देखते हुए उम्मेदगंज गांव महिलाओं ने शौचालय बनवाने के लिए एकजुट दिखाई है। जबकि महिलाओं ने एक बड़ा फैसला लेते हुए इस बात पर राजी हो गई हैं कि अगर जिसके ससुराल में शौचालय नहीं है, वो महिला अपने मायके जाकर दीपावली का महापर्व मनाएगी। साथ ही महिलाएं इस मौके पर अपने ससुराल में किसी कार्यक्रम में अपनी मौजूदगी नहीं दर्ज कराएंगी।
इसलिए महिलाओं ने दिखाई एकजुटता...
वहीं पिछले सालों की तुलना में यहां की महिलाएं स्वच्छता और शौचालय को लेकर काफी सशक्त और जागरुक भी दिखी। आपको बता दें कि इस गांव लगभग 100 ऐसे घर हैं जहां एक अदद शौचालय की व्यवस्था तक नहीं है। ऐसे में घर की हर महिला को शौच के लिए अपने घरों से दूर खुले में जाना पड़ता है, जो उन्हें बर्दास्त नहीं है। और इसलिए महिलाओं ने इतना बड़ा फैसला लिया है।
इन्होंने की पहली शुरुआत...
इस पूरे मामले पर गौर करें तो इसकी शुरुआत यहां रहने वाली मधु ने की थी। जब किसी कारण उन्होंने अपने ससुराल में शौचालय बनवाने के लिए दबाब डाला था। जिसके बाद उनको देखते हुए गांव की बाकी महिलाएं भी उनके समर्थन में खड़ी हो गईं और अपने घरों में शौचालय की मांग करने लगी। गौरतलब है कि कोटा जिले के शहरी क्षेत्र में होने के बावजूद भी यह गांव खुले में शौच से मुक्त नहीं हो पाया है। जबकि इसी जिले की 155 ग्राम पंचायतों में से 80 फीसदी ग्राम पंचायतें खुले में शौचमुक्त की घोषणा कर चुकी हैं।
उधर गांव को महिलाओं के समाझाने की भी कोशिश जारी है, जिससे कि वो अपना विरोध छोड़ दें। साथ ही ग्राम पंचायत समिति के विकास अधिकारी को शौचालय निर्माण में चल रहे धीमी गति को तेज करने के भी आदेश दिए गए हैं। और इसके लिए ग्राम पंचायत समिति को निर्धारित समय पर शौचालय निर्माण के लिए राशि भी उपलब्ध करवाई जा रही है।
इस काम के लिए महिलाओं को जाना पड़ता है काफी दूर...
शौचालय निर्माण को लेकर उम्मेदगंज गांव की महिलाओं का कहना है कि उन्हें शौच के लिए घर से दूर खुले जाने पड़ता है, जो उनके लिए काफी कष्टदायक है। तो वहीं स्वच्छ भारत अभियान को भी इसके लिए अहम बताया जा रहा है, जिसके कारण महिलाओं ने शौचालय के लिए अपनी एकता को दिखाते हुए आवाज उठाने की हिम्मत जुटाई हैं। जबकि मामले पर जिला प्रमुख और अतिरिक्त मुख्य कार्यकारी अधिकारी श्वेता फगेड़यिा का कहना है कि गांव में शौचालय निर्माण का काम चल रहा है लेकिन काम में तेजी नहीं होने ये समस्या आ रही हैं।
Published on:
18 Oct 2017 06:01 pm
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