24 दिसंबर 2025,

बुधवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

बगैर वेतन 23 लाख करोड़ का काम करती हैं महिलाएं

भारतीय स्टेट बैंक की शोध टीम की गणना के अनुसार महिलाओं का बिना वेतन किया जाने वाला घरेलू काम सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 7.5त्न है। महिलाओं के घरेलू कामकाज को पारंपरिक आर्थिक गतिविधियों से बाहर रखा जाता है। उनका योगदान भी आर्थिक उत्पादन के दायरे से बाहर रहता है।

less than 1 minute read
Google source verification
women1.jpg

women

नई दिल्ली. भारतीय स्टेट बैंक की शोध टीम की गणना के अनुसार महिलाओं का बिना वेतन किया जाने वाला घरेलू काम सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 7.5त्न है। महिलाओं के घरेलू कामकाज को पारंपरिक आर्थिक गतिविधियों से बाहर रखा जाता है। उनका योगदान भी आर्थिक उत्पादन के दायरे से बाहर रहता है।
रिपोर्ट में कहा कि श्रम बाजार में महिलाओं की दशा को समझने के लिए उनके अवैतनिक कार्य को समझना आवश्यक है। विश्लेषण के लिए जनवरी से दिसंबर 2019 के एक सर्वे रिपोर्ट के डाटा का उपयोग किया। इससे पहले आइआइएम अहमदाबाद के शोध में भी कहा था कि अवैतनिक घरेलू काम पर पुरुषों के मुकाबले महिलाएं रोज ढाई गुना ज्यादा समय देती हैं। शोध के मुताबिक 15 से 60 साल की महिलाएं रोज 7.15 घंटे अवैतनिक घरेलू कार्य करती हैं, वहीं पुरुष सिर्फ पौने तीन घंटे समय देते हैं।
...तो हर महीने 5 से 8 हजार रुपए मिलते
एसबीआइ की रिपोर्ट के मुताबिक छह साल और उससे अधिक उम्र की महिलाओं का घरेलू कामकाज का औसत समय 432 मिनट (7.2 घंटे) है। शोधकर्ताओं का कहना है कि महिलाओं को रोज 8 घंटे काम के हिसाब से यदि वेतन दिया जाता तो ग्रामीण महिलाओं की हर महीने 5 हजार रुपए और शहरी महिलाओं की 8 हजार रुपए की आय होती।
जीडीपी में 7.5 फीसदी योगदान
शोधकर्ताओं के मुताबिक ग्रामीण क्षेत्रों में 5 फीसदी और शहरी क्षेत्रों में 30 फीसदी महिलाएं घरेलू काम के अलावा मजदूरी भी करती हैं। अर्थव्यवस्था में अवैतनिक महिलाओं का कुल योगदान लगभग 22.7 लाख करोड़ रुपए है, जो भारत की जीडीपी का लगभग 7.5 प्रतिशत है। इसमें से ग्रामीण क्षेत्र की महिलाओं का योगदान 14.7 लाख करोड़ रुपए, जबकि शहरी क्षेत्र की महिलाओं का आठ लाख करोड़ रुपए है।