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World Heritage Day: जयपुर दुनिया का इकलौता शहर, जहां जीवंत है हैरिटेज

World Heritage Day: दुनिया में जयपुर इकलौता ऐसा शहर है, जो 300 साल से अपने हैरिटेज को संजोए हुए है। परकोटे की दीवार और जंतर—मंतर ऐसी इमारत है, जिसने जयपुर को विश्व विरासत शहर की सूची में शामिल करवाया।

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World Heritage Day : जयपुर दुनिया का इकलौता शहर, जहां जीवंत है हैरिटेज

World Heritage Day : जयपुर दुनिया का इकलौता शहर, जहां जीवंत है हैरिटेज

World Heritage Day: दुनिया में जयपुर इकलौता ऐसा शहर है, जो 300 साल से अपने हैरिटेज को संजोए हुए है। परकोटे की दीवार और जंतर—मंतर ऐसी इमारत है, जिसने जयपुर को विश्व विरासत शहर की सूची में शामिल करवाया। हालांकि समय के साथ जयपुर करवट लेता... विकसित होता गया, लेकिन हैरिटेज आज भी जीवंत है। इसी हैरिटेज के चलते 5 फरवरी 2020 को जयपुर विश्व धरोहर शहर बना। यूनेस्को महानिदेशक ने वल्र्ड हेरिटेज सिटी का प्रमाण पत्र दिया।

हैरिटेज का जीवंत उदाहरण 9 वर्गमील में बनी परकोटे की दीवार है, जो परकोटे के चारोंओर बनी हुई है। जयपुर की स्थापना के साथ ही साल 1727 में महाराजा सवाई जयसिंह द्वितीय ने गंगापोल की नींव रखवाई और परकोटे का निर्माण शुरू करवाया। इतिहासकार व जयपुर फाउंडेशन के संस्थापक अध्यक्ष सियाशरण लश्करी ने बताया कि 7 साल में 9 वर्गमील में परकोटे की दीवार बनकर तैयार हुआ। परकोटे की यह दीवार 18 गज उंचाई में बनी हुई है, जिसकी मोटाई 15 गज है। शहर की सुरक्षा के लिए तक 15—15 गज की दो दीवारे बनाई गई, दोनों के बीच में जगह छोड़ी गई है, जो शहर की आज भी सुरक्षा करती है। जयपुर को 9 वर्गमील में बसाया गया। नवग्रहों के अनुरूप यहां नौ चौकड़ियां बसाई गई है।

संसार की एकमात्र वैद्यशाला, जहां होती है सटीक गणना:
जयपुर का जंतर—मतंर भी हैरिटेज का जीवंत उदाहरण है। साल 1728 में ज्योतिष यंत्रालय जंतर—मंतर की नींव रखी, जो 1734 में बनकर तैयार हो गया। जंतर मंतर में 18 यंत्र है, जो आज भी समय और ज्योतिष की सटिक गणना करते हैं। यहां अभी भी देश—दुनिया से खगोलीय गणना और अध्ययन के लिए लोग आते है।

स्थापत्य की अद्भुत कृति हवामहल...
विश्वविख्यात हवामहल भी हैरिटेज को संजोए हुए है। स्थापत्य की अद्भुत कृति हवामहल का निर्माण 1799 में सवाई प्रतापसिंह ने करवाया। पिरामिड के आकार में बने पांच मंजिला इस हवामहल में शरद मंदिर, रतन मंदिर, विचित्र मंदिर, प्रकाश मंदिर और हवा मंदिर है। इतिहासकार लश्करी कहते हैं कि हवामहल बिना नींव के खड़ा है। इसकी दीवार 4 इंच मोटी है और इसमें 365 खिड़कियां है। कभी इन खिड़कियों में घंटियां बंधी हुई थी, जो हवा चलने के साथ ही बजती थी, हालांकि अब खिड़कियों पर घंटियां नहीं है। 27 सितंबर 2022 को हवामहल को स्वच्छ पर्यटन स्थल का अवॉर्ड भी मिला, जिसने जयपुर की शान बढ़ाई।

विश्व हैरिटेज शहर यूं लेता गया मूर्त रूप
— 1727 में सवाई जयसिंह द्वितीय ने की थी जयपुर की स्थापना
— 1727 में परकोटे की दीवार का निर्माण शुरू हुआ
— 1734 में परकोटे की दीवार बनकर तैयार हुई
— 1875 में सवाई रामसिंह ने शहर का गुलाबी रंग करवाया
— 1942 में सवाई मानसिंह द्वितीय और तत्कालीन प्राइमिनिस्टर सर मिर्जा इस्माइल ने जयपुर को दिया आधुनिक रूप
— 1942 में बाजारों के बरामदे बनवाए
— 5 फरवरी 2020 को जयपुर विश्व धरोहर शहर बना