मिठ्ठू को लेकर कई गाने हमने बचपन में सुने होंगे। ऐसे लोग जिनके घरों में तोता पल रहा है वह तोते की बोली सुनकर खुश होते हैं क्योंकि वह नहीं जानते कि तोता पाल कर वह मुसीबत में भी फंस सकते हैं क्योंकि भारतीय वन्यजीव अधिनियम 1972 के तहत तोतों को पालना दंडनीय अपराध है।
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पिंजरे में कैद तोते
इंटरनेशनल यूनियन फॅार कंजर्वेशन ऑफ नेचर की रिपोर्ट के मुताबिक विश्व में लगभग साढ़े पांच करोड़ तोते हैं जिसमें से आधे से अधिक पिंजरों में कैद हैं। अधिकांश तोते तो लोगों के घरों में पालतू पक्षी के रूप में कैदी के रूप में पाले जा रहे हैं।
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बढ़ा तोतों का अवैध व्यापार
इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंजर्वेशन ऑफ नेचर के अनुसार वर्तमान में विश्व में तोतों की 398 प्रजातियां हैं, जिसमें 18 गंभीर रूप से संकट ग्रस्त और 39 लुप्तप्राय हैं। इसका मुख्य कारण उनके हैबिटाट को क्षति पहुंचना और उन्हें पालने की ख्वाहिश है। बात अगर भारत की करें तो यहां तोतों की 11 प्रजातियां पाई जाती हैं। तोते पालतू पक्षी के रूप में लोकप्रिय है जिसके चलते इसका अवैध व्यापार बढ़ रहा है। इतना ही नहीं लोग उनके घोंसलों को नष्ट कर रहे हैं जिससे लगातार इनकी संख्या कम हो रही है। शहरी क्षेत्रों में फलदार पेड़ों की कमी के कारण भी तोतों की संख्या में कमी आ रही है।
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ऐसे बचा सकते हैं तोते
विशेषज्ञों की माने तो तोतों को बचाने के लिए हमें पुराने पेड़ों को बचाना जरूरी है साथ ही फलदार पेड़ लगाने जरूरी है क्योंकि तोते फल खाना पसंद करते हैं। साथ ही इन्हें पालने का मोह छोडऩा होगा।
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टॉपिक एक्सपर्ट
आम तौर पर लोग अपने घरों में तोता,कबूतर, बुलबुल, खरगोश आदि को पालते हैं, लेकिन कम ही लोगों को यह पता है कि ऐसा करने पर डेढ़ से तीन साल तक की सजा हो सकती है, उनके खिलाफ वन्य प्राणी संरक्षण अधिनियम 1972 की धारा 49 व 51 के तहत कानूनी कार्रवाई हो सकती है।
महेंद्र सिंह कछावा, एडवोकेट