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जयपुर में है यमद्वार, होती है यमराज की पूजा, चांदपोल दरवाजे पर आज भी विराजमान है यमराज

yam dwar in jaipur: चांदपोल गेट पर आज भी यमराज विराजमान है। जी हां, चांदपोल दरवाजे पर यमराज की प्रतिमा आज भी पूजी जाती है।

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जयपुर। yam dwar in jaipur: चांदपोल गेट पर आज भी यमराज विराजमान है। जी हां, चांदपोल दरवाजे पर यमराज की प्रतिमा आज भी पूजी जाती है। धनतेरस और यम द्वीतिया पर यहां विशेष आयोजन होता है। चांदपोल गेट की स्थापना साल 1727 में की गई थी। तब से दरवाजे पर यमराज की प्रतिमा विराजित है। इस प्रतिमा के चलते चांदपोल गेट का यमद्वार के नाम से भी जाना जाता है।

जयपुर फाउंडेशन के संस्थापक अध्यक्ष सियाशरण लश्करी ने बताया कि सूर्य की गति पूर्व से पश्चिम की ओर है, जयपुर के पश्चिम दिशा में जयपुर स्थापना के समय 1727 में चांदपोल गेट बनाया गया। चांदपोल दरवाजे पर उसी समय से यम की प्रतिमा लगाई गई है। यम द्वितीया पर महिलाएं इस यम देवता की पूजा करती है और अपने भाइयों की लम्बी उम्र और सुख समृद्धि की कामना करती है।

स्थानीय निवासी सत्यनारायण मीना ने बताया कि उनके पूर्वज ही चांदपोल दरवाजे पर विराजित यमराज की पूजा-अर्चना करते आए है। जयपुर स्थापना के समय से धनतेरस के दिन दरवाजे पर विराजे यमराज की पूजा-अर्चना हेाती है। इस दिन यमराज को पुआ आदि पकवानों का भोग लगाया जाता है, वहीं लोहे की वस्तुओं का दान किया जाता है।

उन्होंने बताया कि यम की प्रतिमा के चलते ही इस दरवाजे का नाम यमद्वार भी पड़ गया है। स्थानीय व्यापारी चेतन अग्रवाल ने बताया कि चांदपोल गेट पर विराजित यमराज से लोगों की आस्था जुड़ी हुई है। कुछ लोग धनतेरस के दिन यमराज की पूजा करने आते है। कुछ महिलाएं भी भाइदूज के दिन यमराज की पूजा करती हैं।