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हजारों युवाओं के ‘सपनों’ पर पानी फेर रहे हैं बैंक

प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम का है बुरा हाल

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jaipur

हजारों युवाओं के 'सपनों' पर पानी फेर रहे हैं बैंक

जयपुर. केंद्र व राज्य सरकारें भले ही युवाओं को रोजगार देने के दावें करे, मगर हकीकत इससे उलट ही है। प्रदेश के हजारों युवा आंत्रेप्रेन्योर बन अपना व्यवसाय शुरू करना चाहते हैं। मगर बैंक इनके सपने पर पानी फेर रहे हैं। इसके कारण न तो युवाओं को रोजगार का मिल पा रहा है और न ही केंद्र सरकार की प्रधानमंत्री रोजगार संयुक्त कार्यक्रम (पीएमइजीपी) का मकसद पूरा हो पा रहा है।

केंद्र सरकार के रोजगार सृजन कार्यक्रम के तहत गत साढ़े पांच माह में ही 5,935 युवा आवेदन कर चुके हैं। इनमें से 2949 प्रस्ताव जिला स्तरीय टास्क फोर्स कमेटी स्वीकृत भी कर चुकी है। लेकिन, बैंक ने इनमें से केवल 304 प्रस्तावों पर ही ऋण दिया है। जबकि अभी तक 6799 लाख रुपए के 2645 प्रस्ताव बैंकों के स्तर पर लंबित हैं। आवेदक युवाओं ने बताया कि बैंक केवल वित्तीय वर्ष के अंत में अपने लक्ष्य पूरे करने के लिए लोन देते हैं। जैसे ही लक्ष्य पूरे हुए, बाकी आवेदन रद्दी में चले जाते हैं।

यह है देशभर में चल रही प्रधानमंत्री रोजगार सृजन योजना
केंद्र सरकार के सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय ने ग्रामीण रोजगार सृजन कार्यक्रम और प्रधानमंत्री रोजगार योजना का विलय कर अगस्त 2008 में प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम के नाम से योजना की शुरुआत की थी। इस योजना के तहत देशभर में उद्यम स्थापित करने के लिए परियोजनाओं पर ऋण उपलब्ध करवाया जाता है।


अनुदान देने का भी प्रावधान
25 लाख तक की परियोजना लागत का 15 से 35 फीसदी तक सब्सिडी अनुदान देने का भी प्रावधान हैं। इसके लिए खादी एवं ग्रामोद्योग आयोग को नोडल एजेंसी बनाया हुआ है। आवेदन खादी एवं ग्रामोद्योग आयोग, राजस्थान खादी तथा ग्रामोद्योग बोर्ड व जिला उद्योग केंद्र में से किसी भी एक के माध्यम से किए जा सकते हैं। आवेदन ऑनलाइन होते है। आवेदन के समय ही किसी एक एजेंसी का चुनाव करना होता है और आवश्यक दस्तावेज अपलोड करने के बाद संबंधित एजेंसी आवेदन पत्रों पर विचार कर जिला कलक्टर की अध्यक्षता में गठित जिला टास्क फोर्स समिति के समक्ष रखती है। समिति आवेदन पत्रों पर विचार कर बैंकों को फॉरवर्ड करती है। इसके बाद बैंक ऋण की पात्रता के बारे में निर्णय लेते है।