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युवाओं को पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूक होना होगा

कोविड- 19 महामारी की विषम परिस्थितियों में पर्यावरण एवं सतत विकास में शिक्षकों की भूमिका विषय पर अंतरराष्ट्रीय बेबिनार का आयोजन

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जयपुर

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Suresh Yadav

Jun 07, 2020

युवाओं को पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूक होना होगा

युवाओं को पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूक होना होगा

जयपुर। पर्यावरण एवं सतत विकास के लिए देश प्रदेश के युवाओं को पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूक होना होगा। यही नहीं हम सबकी जिम्मेदारी बनती है कि हमारे पास जो प्राकृतिक संसाधन है उस पर उपयुक्त नीति होनी चाहिए। यह बात रविवार को तकनीकी शिक्षा राज्य मंत्री डॉ. सुभाष गर्ग ने कोविड- 19 महामारी की विषम परिस्थितियों में पर्यावरण एवं सतत विकास में शिक्षकों की भूमिका विषय पर पॉलिटेक्निक महाविद्यालयों द्वारा आयोजित अंतरराष्ट्रीय ऑनलाइन बेबिनार में यह बात कही। उन्होंने कहा कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 150 वीं जयंती के उपलक्ष्य में राज्य के इंजीनियरिंग एवं पॉलिटेक्निक विद्यार्थियों के द्वारा वर्ष 2019 में पौधरोपण अभियान चला कर 5 हजार से अधिक पौधे लगाए थे तथा उनके वृक्ष बनने तक संरक्षण का संकल्प लिया गया। इस अति महत्वपूर्ण बेबिनार में 3 हजार 244 से अधिक शिक्षकों, विद्यार्थियों एवं पर्यावरण प्रेमियों ने भाग लिया।
डॉं. गर्ग ने सभी तकनीकी शिक्षकों विशेषज्ञों, वैज्ञानिक, वार्ताकार एवं उपस्थित सभी को विश्व पर्यावरण दिवस पर धन्यवाद करते हुए सबका आभार प्रकट करते हुए बताया कि पर्यावरण के क्षेत्र में जो समस्या आ रही है या आयेगी, उसका मुकाबला हम सबको मिलकर करना है। कोरोना के वैश्विक संकट के दौरान जो वैश्विक महामारी आयी है, उसने हम सबको मजबूर कर दिया है कि जिन चीजों को हम नजर अंदाज करके चल रहे थे जैसे पर्यावरण संतुलन का मामला हो, चाहे वनसम्पदा के संरक्षण का मामला हो, चाहे पर्यावरण के सतत विकास की बात हो, वो आज हमारी आवश्यकता है। एक तरफ देश और प्रदेश में कोरोना का दबाव है, दूसरी तरफ जी.डी.पी. को बढ़ाने, आर्थिक विकास में वृद्धि करना, आर्थिक विकास बढ़ाने के लिये उत्पादन बढाना पड़ेगा, रोजगार सृजन करना पड़ेगा, यह चुनौतियां है। भारत एक विकासशील देश है। जिस तरह से जनसंख्या बढ़ रही है दूसरी तरफ हमारे प्राकृतिक संसाधन सीमित हैं, हमारे देश में भूमि एवं अन्य प्राकृतिक संसाधनों की मात्रा सीमित है। उन प्राकृतिक संसाधनों का हम अंधाधुंध उपयोग नहीं कर सकते या दोहन नहीं कर सकते। हमारी धरती की मात्रा निश्चित है।


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