जयपुर. सेंट्रल पार्क की हरियाली के बीच यहां आने वाले लोगों को अब गांधी जी के विचारों से प्रेरणा भी मिलेगी। पार्क के गेंट नंबर पांच पर बनकर तैयार गांधी जी की वैचारिक विरासत को समेटे संग्रहालय ‘गांधी वाटिका’23 सितंबर से आमजन के लिए शुरू कर दिया जाएगा। गांधी जी के विचारों को पूरे देश खासकर युवाओं को उनकी विचारधारा से जोडऩे के लिए यह म्यूजियम तैयार किया गया है। सेंट्रल पार्क स्थित महात्मा गांधी इंस्टिट््यूट ऑफ गवर्नेंस एंड सोशल साइंसेज की देखरेख में जयपुर विकास प्राधिकरण ने 7560 वर्ग मीटर में फैले इस संग्रहालय का निर्माण गांधी जी की विचारधारा के अनुरूप करवाया है। इसके लिए पहली बार शांति एवं अहिंसा निदेशालय की स्थापना की गई और गांधी विचारकों की एक 11 सदस्यीय समिति के मार्गदर्शन में संग्रहालय का एक-एक कोना तैयार किया गया है। राज्य सरकार की 2021.22 बजट घोषणा के तहत इस संग्रहालय को बनाने में करीब 85 करोड़ रुपए की लागत आई है। आज से तीन दिवसीय कार्यक्रम से इसका आगाज होगा। म्यूूजियम तीन सेक्शन में बंटा हुआ है। पहले सेक्शन में अंग्रेजों के भारत आने से लेकर गांधी जी के दक्षिण अफ्रीका प्रवास तक को चित्रों, खतों, ऑडियो रिकॉर्डिंग्स और गांधी जी से जुड़ी ऐतिहासिक चीजों को दिखाया गया है। पहले हिस्से को मुख्य विषयों में बांटा गया है, जिनमें गांधी के पहले ‘महात्मा’ और फिर ‘राष्ट्रपिता’ बनने तक के सफर को दर्शाया गया है।
‘मोहन का मसाला’ से प्रतीक दिखाएंगे ‘महात्मा’ का जीवन
गांधी पीस फाउंडेशन, दिल्ली के चेयरमैन और इस म्यूजियम के मुख्य विचारक कुमार प्रशांत ने बताया कि यह म्यूजियम गांधी के बाद के गांधी को आज की पीढ़ी के सामने लाएगा। गुरुवार से तीन दिवसीय कार्यक्रम के तहत संग्रहालय के लोकार्पण की शुरुआत होगी। पहले दिन गांधी जी के विचारों को राजस्थान और देश में आगे बढ़ाने वाले विचारकों को बुलाया गया है। शुक्रवार को राष्ट्रीय सेमिनार में ‘गांधी जी की आज जरूरत क्यों’ विषय पर चर्चा की जाएगी। इसी दिन नाटक ‘मोहन का मसाला’ का मंचन किया जाएगा। बॉलीवुड एक्टर प्रतीक गांधी (1992: स्कैम फेम) इसमें मुख्य भूमिका निभाएंगे। नाटक यह बताता है कि किन कारणों से गुजरात का मोहन महात्मा बन गया। 23 सितंबर को म्यूजियम के उद्घाटन समारोह में राहुल गांधी और गांधी परिवार से अन्य लोगों के भी आने की उम्मीद है। इस दिन गांधी जी की स्मृति में संगीत संध्या का भी आयोजन होगा।

संग्रहालय तकनीक और गांधी जी के विचारों का मिश्रण
पुणे से आए म्यूजियम के तकनीकी क्यूरेटर शेखर ने बताया कि यह म्यूजियम अपनी वैचारिक सुंदरता के साथ ही तकनीकी पहलुओं में भी देश के अन्य संग्रहालयों से बहुत अलग है। म्यूजियम में गांधी के जीवन, दर्शन और विचारों को तकनीकी की मदद से जिस तरह प्रस्तुत किया गया है, वह अनोखा है। युवाओं को जोडऩे के लिए विभिन्न प्रकार की प्रोजेक्शन तकनीक जैसे सॉल्ट माउंट्स का इस्तेमाल किया गया है, जो देश की गिनी-चुनी जगहों पर है। इमर्सिव तकनीक की मदद से दर्शकों को ऐतिहासिक घटनाओं में खुद की उपस्थिति का अहसास होगा। गांधी जी की वास्तविक आवाज, ऑडियो-विजुअल शो, एनिमेटेड शो और होलोग्राफिक टेक्नीक यूज की गई है।

