उन्होंने कहा कि यह संक्रमण मुख्य रूप से मच्छर के काटने से फैलता है। ऐसे में मानसून के बाद जो सतर्कता बरती जानी चाहिए थी, उसे पूरा करने में चिकित्सा विभाग व नगर निगम ने लापरवाही बरती है। उन्होंने कहा कि हाल ही में मुख्यमंत्री की ओर से द्रव्यवती परियोजना के अधूरे कार्य का लोकार्पण कर वाहवाही लूटने का प्रयास किया गया, परन्तु वास्तविकता यह है कि उक्त परियोजना में एक भी एसटीपी का काम पूरा नहीं हुआ है, जिसके कारण अशोधित जल बह रहा है जो मच्छरों के पनपने के लिए अनुकूल वातावरण प्रदान करता है।
उन्होंने कहा कि जीका वायरस से फैलने वाली जानलेवा बीमारी अगर अनियंत्रित हो गई तो यह माहमारी का रूप ले सकती है। उन्होंने कहा कि चिकित्सा विभाग व नगर निगम इस काम में पूरी तरह विफल रहे हैं। जिस तत्परता के साथ फॉगिंग की जानी चाहिए थी और अन्य कीटनाशक का छिड़काव किया जाना था, उसमें घोर लारवाही बरती गई है। गत पौने पांच वर्षों में प्रदेश में चिकित्सा विभाग की लापरवाही का ही परिणाम है कि स्वाइन फ्लू, डेगूं जैसी बीमारियों के कारण अनेक लोगों की मृत्यु हुई है।