
जयगढ़ हेरिटेज फेस्टिवल 2025 (सोर्स-@FortinRajasthan)
जयपुर। जयपुर के ऐतिहासिक जयगढ़ किले पर शनिवार को संस्कृति का एक शानदार पर्व शुरू हुआ। 'जयगढ़ हेरिटेज फेस्टिवल 2025' के दूसरे संस्करण में राजस्थान की पूरी कलात्मक विरासत को एक ही मंच पर समेटा गया। इस कार्यक्रम में लोकनृत्य, संगीत, शिल्प बाजार, क्राफ्ट वर्कशॉप का आयोजन हुआ।
जयपुर राजपरिवार के प्रमुख पद्मनाभ सिंह ने इस आयोजन को सिर्फ एक त्योहार नहीं, बल्कि विरासत संरक्षण का एक महत्वपूर्ण प्रयास बताया। उन्होंने कहा कि सवाई जयसिंह द्वितीय ने जो दृष्टिकोण लेकर 300 साल पहले जयपुर को बसाया था, आज उसी सपने को आगे बढ़ाना हमारा लक्ष्य है। ब्लॉक प्रिंटिंग, मिरर वर्क, लोकगीत और खानपान सब कुछ इसी मंच पर प्रदर्शित किया जा रहा है ताकि नई पीढ़ी अपनी संस्कृति को समझ सके और आगे बढ़ाने की प्रेरणा ले।
जयपुर के 36 कारखाने कभी आत्मनिर्भरता और संस्कृति संवर्धन को दर्शाते थे, लेकिन आज आधुनिक युग में इनमें से कई विलीन हो चुके हैं। इस फेस्टिवल के माध्यम से बंधेज-बांधनी (कपड़े की रंगाई), ब्लॉक प्रिंटिंग (सांगानेरी, बगरू प्रिंट), लाख की चूड़ियां, मार्बल क्राफ्ट जैसे कई कारखानों के विकास और इन्हें नए बाजार और प्लेटफॉर्म से जोड़ने का प्रयास किया जा रहा है। आर्थिक संसाधनों की कमी इन पारंपरिक कलाओं के लिए बड़ी चुनौती है।
जयगढ़ हेरिटेज फेस्टिवल आने वाले समय में न केवल शनिवार-रविवार तक सीमित रहेगा बल्कि इसे 6 से 7 दिन तक चलाया जाएगा। इस प्रकार यह कार्यक्रम लोगों को विरासत से जोड़ने का एक माध्यम बनेगा। टीमवर्क आर्ट्स के प्रबंध निदेशक संजय के. रॉय के अनुसार, यह फेस्टिवल कलाकारों, विद्वानों और दर्शकों को जयपुर की किला-परंपराओं के केंद्र में आने का आमंत्रण है। वेदांता रिसोर्सेज के निदेशक प्रिया अग्रवाल ने कहा कि यह भारत की सांस्कृतिक धरोहर का एक उमंगों भरा उत्सव है।
शाम को होने वाले संगीत समारोह में राजस्थान की सांस्कृतिक विरासत का एक शानदार महासंगम होगा। इस आयोजन में पापोन लाइव, कबीर कैफे, द अनिरुद्ध वर्मा कलेक्टिव जैसे मशहूर संगीतकार अपनी प्रस्तुति देंगे। साथ ही रॉयस्टन एबेल का प्रतिष्ठित शो 'द मंगणियार सेडक्शन' भी मंचित किया जाएगा।
इसके अलावा, नाथू लाल सोलंकी और मोहम्मद शमीम के नेतृत्व में कठपुतली कला का प्रदर्शन होगा। श्योपत जूलिया अपनी पारंपरिक प्रस्तुति के माध्यम से राजस्थान की भूली-बिसरी लोक कलाओं, देशी उपकरणों और प्राचीन गीतों को दर्शकों के सामने लाएंगे। ये सभी प्रदर्शन राजस्थान की समृद्ध लोक परंपराओं का सम्मान करते हैं और नई पीढ़ी तक इन अमूल्य कलाओं को पहुंचाने का एक सार्थक प्रयास हैं।
Updated on:
06 Dec 2025 08:19 pm
Published on:
06 Dec 2025 08:18 pm
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