जयपुर। इस्लामिक साल के पहले महीने में मनाया जाने वाला मोहर्रम (यौमे-ए-आशूरा) रविवार को मनाया जा रहा है। शहर के अलग-अलग इलाकों से 300 से अधिक ताजिए बड़ी चौपड़ के लिए रवाना हुए। ताजियों को शाम को कर्बला में सुपुर्द खाक किया जाएगा। जयपुर को देशभर में सोने चांदी के ताजियों लिए भी जाना जाता है। घाटगेट स्थित मोहल्ला महावतान बिरादरी का रियासतकालीन फीट ऊंचा सोने—चांदी का ताजिया शहर की विरासत का प्रतीक है। यह ताजिया वर्ष 1868 से निकलता आ रहा है। मुस्लिम समाज के बुजुर्गों को इसे तोहफे में दिया था, जो कि आज भी सुरक्षित है।
शीशम की लकड़ी पर सोने की जरी का काम किया गया है। साथ ही चांदी के कलश लगाए जाते हैं। इन्हें सालभर सुरक्षित रखा जाता है। रविवार को ताजियों के बीच लोग हाथियों पर सवार होकर शाही ठाठ बाठ से चलेंगे। हिंदू समुदाय के लोग भी ताजियेदारों का पुष्पों से स्वागत करेंगे।
इतिहासकारों के मुताबिक सवाई रामसिंह बेहद बीमार हुए तो उनके सलाहकार ने ताजिये की मन्नत के बारे में बताया। तब उन्होंने मन्नत मांगी और इसके पूरी होने पर डेढ़ मण सोने-चांदी का ताजिया बनवाया। इसी ताजिये की तर्ज पर मोहल्ला महावतान और मोहल्ला जुलाहान ने भी सोने-चांदी के ताजिये बनवाए।
Updated on:
06 Jul 2025 04:17 pm
Published on:
06 Jul 2025 04:06 pm