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नहरबंदी : अथाह जल भंडार के बावजूद जल संकट….. चाहिए बस बेहतर प्रबंधन

गर्मी के बढ़ते असर के साथ ही शहर और ग्रामीण इलाकों में आने वाले तीन महीनों तक पानी की किल्लत रहने की आशंका है।

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गर्मी के बढ़ते असर के साथ ही शहर और ग्रामीण इलाकों में आने वाले तीन महीनों तक पानी की किल्लत रहने की आशंका है। नहरबंदी के चलते जल संकट और गहराएगा, जिससे आमजन को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। हैरानी की बात यह है कि पिछले साल अच्छी बारिश होने के बावजूद उपलब्ध जल भंडारों का समुचित उपयोग नहीं हो पा रहा है। जिले के कई इलाकों में अभी भी अथाह मात्रा में पानी मौजूद है, जिसे सही प्रबंधन के अभाव में बेकार बहने दिया जा रहा है।

यहां अब भी भरा है पानी, फिर भी जल संकट

  • सम से करीब 2 किलोमीटर आगे तक अभी भी वर्षा जल का भंडार मौजूद है। इस पानी का उपयोग टैंकरों के जरिए जल आपूर्ति और खेती में किया गया, फिर भी यह आने वाले तीन महीनों तक उपयोगी बना रहेगा।

-सेउवा से रायमला और रायमला से नागो की ढाणी तक फैला 6-7 किलोमीटर लंबा यह जल स्रोत अब भी लबालब भरा हुआ है। यह क्षेत्र नहर के करीब स्थित है, और यहां अगले एक साल तक पानी उपलब्ध रहने की संभावना है।

-खाभा से कनोई-दामोदरा तक फैले 3-4 किलोमीटर लंबे क्षेत्र में अभी भी पर्याप्त पानी भरा हुआ है।

नहरबंदी : पहले 30 दिन केवल पीने का पानी

इंदिरा गांधी नहर परियोजना के रखरखाव और जरूरी मरम्मत कार्य के लिए अलग-अलग स्थानों पर नहरबंदी की जा रही है। इसके तहत नहर के अंतिम छोर पर आए जैसलमेर जिले में आगामी 26 मार्च से 27 मई तक नहरबंदी प्रभावी रहेगी। जिसमें पहले 30 दिन यानी 26 अप्रेल तक नहर में केवल पीने के लिए पानी उपलब्ध रहेगा और उसके बाद की अवधि में वह भी नहीं दिया जाएगा वहीं नहरी किसानों को सिंचाई के लिए पानी नहीं मिलने वाला है। जानकारी के अनुसार नहरबंदी के शुरुआती 30 दिनों में 2000 क्यूसेक पानी छोड़ा जाएगा। इसके बाद 27 अप्रेल से 27 मई तक नहर में पूरी तरह से पानी की आवक बंद कर दी जाएगी।

एक्सपर्ट व्यू: जल प्रबंधन से थमेगा जल संकट

सामजिक कार्यकत्र्ता और जैसलमेर विकास समिति के सदस्य जेपी व्यास का कहना है कि एक ओर नहरबंदी के कारण पानी की किल्लत की स्थिति बनने वाली है तो दूसरी ओर जल स्रोतों का ठोस उपयोग करने की दरकार है। पेशे से चार्टेड अकाउंटेंट व्यास का कहना है कि जलाशयों को नहर से जोडऩे या जल आपूर्ति के लिए पाइपलाइन बिछाने जैसी योजनाओं पर विचार किया जाए, तो यह जल संकट के समाधान में अहम भूमिका निभा सकता है। आवश्यकता इस बात की है कि जल भंडारों का सही उपयोग करने की योजना बनाई जाए, इससे जल संकट को काफी हद तक कम किया जा सकता है।