10 दिसंबर 2025,

बुधवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

जैसलमेर में गायों पर फिर मंडराया संकट, अब तक हुई 500 से अधिक मौत; पशुपालकों में डर का माहौल

Jaisalmer News: जैसलमेर जिले में पशुधन पर एक बार फिर जानलेवा संकट मंडरा रहा है। कर्रा रोग ने जिले में अब तक 500 से अधिक गायों की जान ले ली है।

2 min read
Google source verification
Cows in Jaisalmer

Jaisalmer News: राजस्थान के जैसलमेर जिले में पशुधन पर एक बार फिर जानलेवा संकट मंडरा रहा है। कर्रा रोग (बोटुलिज़्म) के बढ़ते प्रकोप ने जिले में अब तक 500 से अधिक गायों की जान ले ली है, जबकि पशुपालन विभाग ने केवल 190 मौतों की पुष्टि की है। बोटुलिज़्म एक गंभीर और प्राणघातक रोग है जो क्लोस्ट्रीडियम बोटुलिनम नामक जीवाणु द्वारा होता है, जिसका फिलहाल कोई अच्छा इलाज उपलब्ध नहीं है।

इस रोग का रोकथाम ही एकमात्र उपाय

बता दे, जैसे-जैसे तापमान बढ़ रहा है, कर्रा रोग तेजी से फैल रहा है। गांवों के आसपास खुले में छोड़े गए मरे पशुओं के अवशेष इस बीमारी को फैलाने का प्रमुख कारण बन रहे हैं। बोटुलिनम विष गर्मियों में सड़े-गले मांस या हड्डियों में पनपता है, जिसे खाकर स्वस्थ गायें भी संक्रमित हो जाती हैं। चारे में फॉस्फोरस की कमी और दुग्ध उत्पादन के कारण शरीर में पोषक तत्वों की कमी भी इस रोग का एक कारक है।

डर और लाचारी में पशुपालक

बताया जा रहा है कि इस गंभीर संकट के समय भी जिले के 200 में से 120 पशु चिकित्सा केंद्र बंद हैं। कई जगहों पर या तो चिकित्सक नहीं हैं या कंपाउंडर की कमी है, और कुछ केंद्र मात्र एक कर्मचारी के भरोसे संचालित हो रहे हैं। डाबला, देवीकोट, पूनमनगर, सोनू, सगरा, चांधन, सांवला, खारिया सहित दर्जनों गांवों में कर्रा रोग तेजी से फैल रहा है।

यह पहली बार नहीं है जब कर्रा रोग ने जिले में कहर बरपाया है। पिछले साल भी लगभग 1,500 दुधारु गायें इस बीमारी का शिकार हो चुकी हैं। इस बार भी हालात चिंताजनक होते जा रहे हैं, लेकिन सरकारी प्रयासों की रफ्तार सुस्त है।

सरकारी जांच दल जैसलमेर पहुंचा

बढ़ती मौतों को देखते हुए, राज्य सरकार ने जयपुर स्थित PGIVER (पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ वेटनरी एजुकेशन एंड रिसर्च) से विशेषज्ञों की तीन सदस्यीय टीम जैसलमेर भेजी है। यह टीम पानी, चारा और मवेशियों के अवशेषों के नमूने लेकर विस्तृत जांच करेगी। वहीं, पशुपालन मंत्री ज़ोराराम कुमावत ने जिले का दौरा कर निवारक उपायों को प्राथमिकता देने के निर्देश दिए हैं और गायों को लावारिस न छोड़ने की अपील की है।

वहीं, इस रोग के विशेषज्ञों का कहना है कि यदि समय रहते 200–300 मि.ली. लिक्विड ऐक्टिवेटेड चारकोल 3 दिन तक पिलाया जाए, तो जान बचाई जा सकती है। साथ ही, गायों को नियमित रूप से मिनरल मिक्सचर पाउडर और नमक दाना खिलाने की सलाह दी गई है।

यह भी पढ़ें : Rajasthan Politics: पूर्व CM अशोक गहलोत इस बार नहीं मनाएंगे जन्मदिन, सोशल मीडिया पर बताई ये वजह