
जैसलमेर. जर्जर मकान पड़ोसियों व राहगीरों के लिए खतरा-ए-जान बने हुए हैं।
गर्मी की विदाई और मानसून के स्वागत के लिए स्वर्णनगरी के लोग बेताब हैं, लेकिन इनमें अनेक लोग ऐसे हैं, जिनके लिए बारिश का मौसम किसी दु:स्वप्र से कम नहीं है। ये वे लोग हैं, जिनके घरों के पास या गली-मोहल्ले में जर्जर मकान हैं। जो बारिश के प्रहार से भरभराकर गिर सकते हैं। हर बार की भांति वर्षा के मौसम से पहले ऐसे लोगों की चेहरे पर चिंता की लकीरें उभरनी शुरू हो गई है। हर बार बारिश के दौरान कहीं न कहीं पुराने मकानों की छतों या दीवारों के ध्वस्त होने के समाचार आते हैं। इनमें ऐतिहासिक सोनार दुर्ग का स्थान सबसे ऊपर है। सोनार दुर्ग पर आज भी ऐसे खंडहरनुमा मकान हैं, जिनके बरसाती सीजन में धराशायी होने की पूरी आशंका बनी हुई है। विगत वर्षों में ऐसे अनेक हादसे हुए हैं। शहर में जब कभी मूसलाधार बरसात होती है, तब जर्जर मकानों व भवनों की समस्या को लेकर जिम्मेदार दौड़-धूप करते नजर आते हैं, लेकिन समय गुजरने के साथ वे इस समस्या को बिसरा जाते हैं। यही कारण है कि इस समस्या का स्थाई समाधान आज तक नहीं हो पाया है।
पूर्व में बरसाती सीजन में मकानों की छत या दीवारों के गिरने से कोई जनहानि सामने नहीं आई। फिर भी यह नहीं माना जा सकता कि, जर्जर व खतरनाक अवस्था में पहुंचे मकानों के आसपास रहने वालों की किस्मत हमेशा उन पर मेहरबान ही रहेगी। विगत वर्षों में शहर के कुछ मकानों को अवश्य सुरक्षित उतरवा लिया गया है और उनका पुनर्निर्माण भी हो चुका है। फिर भी दुर्ग सहित रियासतकालीन शहर की गलियों में आज भी कई मकान जान का जोखिम बने हुए हैं। ऐसे मकानों के साथ एक समस्या यह है कि, उनमें से कइयों के एक से अधिक स्वामी हैं। उनमें से ज्यादातर जैसलमेर में रहते भी नहीं हैं। हर वर्ष ऐसे मकानों को सुरक्षित उतरवाने के लिए संबंधित लोगों को नोटिस जारी किए जाते हैं और चेतावनी भी दी जाती है, लेकिन इससे आगे कार्रवाई नहीं करने के कारण हर बरसाती सीजन में खतरा बरकरार रहता है।
धराशायी होने की कगार पर पहुंच चुके मकानों के आसपास रहने वाले लोगों को बरसाती मौसम में हमेशा अपनी व अपने परिवारजनों की सुरक्षा को लेकर चिंता रहती है। बारिश के मौसम में ऐसे जर्जर बंद मकान गिर कर आसपास रहने वाले लोगों व राहगीरों के लिए आफत का कारण बन सकते हैं। आवाजाही के रास्ते तो कई-कई दिनों तक बाधित रहते ही हैं। बारिश के दौरान हर बार जर्जर मकानों से आसपास के लोगों को खतरे का मुद्दा उठता रहा है। नगरपरिषद और जिला प्रशासन तक लोग गुहार लगाते हैं। नगरपरिषद पिछले एक दशक से प्रत्येक बरसाती सीजन में नोटिस जारी करने की कवायद करती रही है। इस अवधि में कई मकान धराशायी भी हो गए। अनेक मकानों के मालिकों ने बाद में अपनी सुविधानुसार मकान उतरवा लिए मगर अब भी कई मकान खतरे का सबब बने हुए हैं। जानकारी के अनुसार अकेले सोनार दुर्ग में ही ढूंढ़ा पाड़ा में सबसे ज्यादा उसके बाद व्यासा पाड़ा, कुंड पाड़ा, लधा पाड़ा, कोटड़ी पाड़ा, चौगान पाड़ा में भी कुछेक घर बारिश के दौर में खतरनाक साबित हो सकते हैं। इसके अलावा किले के कई बुर्ज व दीवारों से जुड़े हिस्से खतरनाक स्थिति में हैं। पिछले साल ही दुर्ग के बुर्ज से जुड़ी दीवार बरसात के प्रहार से गिर गई थी। दुर्ग के साथ शहर के अन्य हिस्सों में भी पिछले वर्षों में बारिश के दौरान जर्जर मकानों के भरभरा कर गिरने की कई घटनाएं घटित हुई हैं। ऐसी घटनाओं के बाद प्रशासन व नगरपरिषद का अमला हरकत में आता है और आनन-फानन में नोटिस जारी करने जैसी कार्रवाई की जाती है।
Published on:
15 Jun 2025 11:59 pm
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