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जैसलमेर

ब्रीडिंग सेंटर से फील्ड तक…गोडावण जन्म की मिली दोहरी खुशखबरी

सीमांत जिले से वन्यजीव प्रेमियों के लिए दो खुश खबरें एक साथ आई हैं। सम क्षेत्र के सुदासरी स्थित गोडावण ब्रीडिंग सेंटर में टोनी और शार्की नामक मादा गोडावण के दिए अंडों से नन्हें चूजे निकले हैं, जिन्हें विशेषज्ञों की देखभाल में रखा गया है और वे दोनों स्वस्थ हैं।

जैसलमेरJun 01, 2024 / 08:04 pm

Deepak Vyas

dnp jaisalmer
सीमांत जिले से वन्यजीव प्रेमियों के लिए दो खुश खबरें एक साथ आई हैं। सम क्षेत्र के सुदासरी स्थित गोडावण ब्रीडिंग सेंटर में टोनी और शार्की नामक मादा गोडावण के दिए अंडों से नन्हें चूजे निकले हैं, जिन्हें विशेषज्ञों की देखभाल में रखा गया है और वे दोनों स्वस्थ हैं। दूसरी तरफ डीएनपी के सुदासरी क्षेत्र में हाल में दो नन्हें गोडावण भी देखे गए हैं। इनमें से एक को स्वयं उप वन संरक्षक ने देखा और दूसरा स्टाफ सदस्य ने देखा है। इस तरह से जिले के सम व रामदेवरा स्थित दोनों ब्रीडिंग सेंटरों में गोडावण की संख्या बढ़ कर 36 हो गई है। ये चूजे कैप्टिव ब्रीडिंग से हुएं है। जिसका मतलब यह होता है कि गोडावण ब्रीडिंग सेंटर में पल रहे नर व मादा गोडावण के संयोग से अंडा देना होता है। इन्हें जन्म देने वाली मादा शार्की व टोनी कैप्टिव-पालित हैं।

फील्ड में नजर आए आधा दर्जन अंडे

जानकारी के अनुसार डीएनपी के सुदासरी और रामदेवरा फील्ड में अभी तक लुप्तप्राय: और दुर्लभ श्रेणी में शामिल ग्रेट इंडियन बस्टर्ड (गोडावण) के 6 अंडे देखे गए हैं। इनमें से ब्रीडिंग सेंटर में हैचिंग के लिए अभी तक एक ही अंडा उठाया गया है। शेष पांच अंडों को प्राकृतिक ढंग से चूजों के जन्म लेने के लिए रखने दिया गया है। इन अंडों की डीएनपी के फील्ड स्टाफ की ओर से मोनेटरिंग की जा रही है। बताया जाता है कि जब मादा गोडावण अंडों को सेती है तब दिन में कम से कम दो-तीन बाद पानी पीने के लिए उन्हें छोड़ जाती हैं, उस समय वहीं आसपास टेंट लगाकर या पेड़ की छांव में बैठने वाला फील्ड कार्मिक अंडे की निगरानी करता है ताकि अंडे को जंगल में बिल्ली या लोमड़ी आदि कोई नुकसान न पहुंचा सके। जानकारों के अनुसार प्राकृतिक रूप से एक अंडे से चूजा निकलने में 25 से 30 दिन का समय लगता है वहीं ब्रीडिंग सेंटर में यह प्रक्रिया 20-22 दिन में पूरी हो जाती है।

जिले में संचालित हो रहे दो सेंटर

  • जिले में सबसे पहले गोडावण ब्रीडिंग का सेंटर सम स्थित सुदासर में स्थापित किया गया था। उसके बाद एक अन्य सेंटर रामदेवरा में बनाया गया।
  • इन दोनों सेंटरों में जंगलों में मिले गोडावण के अंडों को विशेषज्ञों की देखरेख में रखा जाता है और उनमें से चूजों का जन्म सफलतापूर्वक करवाया जा रहा है। सेंटरों में गोडावण विशेषज्ञों व वैटरनरी चिकित्सकों की तैनाती है।
  • डीएनपी क्षेत्र में बने क्लोजर में गोडावण के साथ गत दिनों रेड हेडेड वल्चर (किंग वल्चर) यानी गोडावण जितना ही दुर्लभ गिद्ध भी नजर आया है।
  • गोडावण के 90 प्रतिशत अंडे डीएनपी में बने क्लोजर में दिखाई दिए हैं।
    मिल रही अहम सफलता
    दुर्लभ किस्म के ग्रेट इंडियन बस्टर्ड यानी गोडावण के संरक्षण और संवद्र्धन के क्षेत्र में एक बार फिर अहम सफलता मिली है। इससे स्पष्ट है कि डीएनपी क्षेत्र में गोडावण की संख्या में बढ़ोतरी व संरक्षण के लिए किए जा रहे उपाय प्रभावी हैं। इससे डीएनपी में और ज्यादा क्लोजर बनाए जाने की उपयोगिता भी सिद्ध हो रही है।
  • डॉ. आशीष व्यास, डीएफओ, डीएनपी, जैसलमेर

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